वन अधिकार दावों के तेजी से निपटारे के लिए राज्य स्तर पर पृथक से कमिश्नर की होगी नियुक्ति : . भूपेश बघेल
क्वारेंटाइन सेंटरों से घर जाने वाले ग्रामीणों की निगरानी के
लिए गांवों में गठित की जाएं निगरानी समिति
मनरेगा में अप्रैल से अब तक 1400 करोड़ रूपए की मजदूरी का भुगतान
कोरोना संक्रमण की बचाव की गाईडलाइन का करे सख्ती से पालन: उद्योगों में बाहर से आने वाले श्रमिकों की जानकारी छुपाने वालों पर दर्ज किए जाएंगे आपराधिक प्रकरण
रायपुर, 10 जून 2020
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में वन अधिकार मान्यता पट्टों के वितरण के कार्य में तेजी लाने और सुचारू संचालन के लिए राज्य स्तर पर एक अधिकारी को कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में वन अधिकार पट्टों के वितरण की स्थिति की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि सभी जिलों में वन अधिकारी पट्टों के वितरण का काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाए, चाहें व्यक्तिगत दावे के प्रकरण हो या सामुदायिक दावे का इनका निराकरण तेजी से वन, राजस्व और इसके नोडल विभाग आदिम जाति विकास विभाग के समन्वय से किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हमें वनों को बचाना है, तो सामुदायिक अधिकारों के पट्टों का वितरण अधिक से अधिक किया जाना चाहिए। बैठक मंे जानकारी दी गई कि सामुदायिक अधिकार के 28 हजार पट्टों का वितरण किया जा चुका है। जबकि सामुदायिक अधिकारों के 34 हजार पट्टों का वितरण किया जाना है। संबंधित गांवों मंे 3 से 4 सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन अधिकार पट्टों के निरस्त किए गए दावों पर पुनर्विचार कर निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए सभी पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र वितरित किए जाएं।
वनोपजों में करें वेल्यू एडीशन और संग्राहकों को दिलाएं ज्यादा से ज्यादा लाभ
बघेल ने सभी वनमण्डलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में अलग-अलग लघु वनोपजों का कितना उत्पादन होता है, इसकी जानकारी संकलित करें, इससे नीति तैयार करने में मदद मिलेगी। लघु वनोपजों के वेल्यू एडीशन के लिए पहल की जाए और ऐसे प्रयास किए जाएं कि वनोपजों के संग्रहण से संग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले। मुख्यमंत्री ने बस्तर और सरगुजा में तिलहन की फसल को प्रोत्साहित करने के निर्देश देते हुए कहा कि बस्तर में पहले सरसों की खेती बड़े पैमाने पर होती थी, जो अब लगभग बंद हो गई है, इसे फिर से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने एथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए भी प्रयास करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब एथेनॉल प्लांट लगेंगे, तो किसान गन्ने की खेती की ओर बढ़ेंगे। बैठक में जानकारी दी गई कि बारिश से धान की सुरक्षा के लिए धान खरीदी केन्द्रों पर चबूतरों के निर्माण के 4622 कार्याें की स्वीकृति राज्य स्तर से दी गई है। इन कार्योें में से 4323 कार्याें की स्वीकृति संबंधित जिलों से जारी कर दी गई है। कलेक्टरों को 30 जून के पहले चबूतरों का निर्माण पूरे करने के निर्देश दिए। बैठक में यह जानकारी दी गई कि प्रदेश में नवगठित 704 ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत भवन निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी गई है, इनमें से 394 भवनों के निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।
मनरेगा में अप्रैल से अब तक 6.10 करोड़ मानव दिवस का रोजगार
और 1400 करोड़ रूपए की मजदूरी भुगतान
बैठक में बताया गया कि मनरेगा के तहत अप्रैल से लेकर अब तक 6 करोड़ 10 लाख मानव दिवस का रोजगार का कार्य किया जा चुका है, जिसमें 1400 करोड़ रूपए की मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए किए गए कार्याें की सराहना करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति और लोगों को बड़ी राहत मिली है।
क्वारेंटाईन अवधि पूरी कर घर जाने वालों की निगरानी के लिए गठित होंगी ग्राम समितियां
मुख्यमंत्री ने औद्योगिक क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण रोकने के संबंध में कलेक्टरों से कहा कि जिन जिलों में औद्योगिक क्षेत्र हैं, वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि यदि किसी उद्योग में बारह से श्रमिक लाए जा रहे हैं, तो इसकी जानकारी जिला प्रशासन को अवश्य दी जाए। ऐसे उद्योग जो बाहर से आने वाले मजदूरों की जानकारी प्रशासन को नहीं दे रहे हैं, उन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाये। बघेल ने क्वारेंटाईन सेंटरों से अवधि पूर्ण कर घर जाने वाले ग्रामीणों की निगरानी के लिए कोरबा जिले की भांति सभी गांवों में निगरानी समिति गठित करने के निर्देश दिए। इस समिति में शासकीय अमले के साथ-साथ गांव के लोगों को भी जोड़ा जाए। घर जाने वाले ग्रामीणों को यह समझाईश दी जाए कि वे 14 दिनों तक घरों में ही रहे और अपने परिवारिक सदस्यों से भी जहां तक हो सके दूरी बनाकर रखें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सावधानी की दृष्टि से ऐसे लोगों का समय-समय पर रेंडम टेस्ट भी किया जाना चाहिए। कोरबा कलेक्टर ने बताया कि उनके जिले में 7798 मजदूर वापस आए है, जिनमें से क्वारेंटाईन अवधि पूरा करने के बाद 3646 लोग अपने घर जा चुके हैं। ऐसे लोगों की निगरानी के लिए गांवों मंे निगरानी समिति बनाई गई है। मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के सभी जिलों में जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को उनके जिलों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की सूची अपडेट करने और उनकी स्किल मैपिंग के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि हाल ही में विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों से हुई चर्चा में जानकारी दी कि उद्योगों मंे स्किल्ड श्रमिकों की आवश्यकता पड़ेगी। यदि स्किल मैपिंग हो जाती है तो इन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में आसानी होगी।
सर्वसुविधायुक्त होंगे शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 40 इंग्लिश मीडियम स्कूलों की स्थापना के संबंध में कहा कि ये स्कूल प्रायवेट स्कूलों से किसी भी मामलों में कम नहीं होने चाहिए। यहां उपलब्ध सुविधाएं और शिक्षा की गुणवत्ता ऐसी हो कि कलेक्टर अपने बच्चों को पढ़ाने में न हिचकें। बैठक मंे बताया गया कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों की स्थापना के लिए 24 करोड़ रूपए की राशि जिलों को आबंटित कर दी गई है। कलेक्टर की अध्यक्षता में अधिकांश जिलों में मेनेजमेंट कमिटी गठित की जा चुकी है। इंग्लिश मीडियम स्कूलों में 1 जुलाई से वर्चुअल क्लास शुरू करने की योजना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकासखण्ड मुख्यालयों पर उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और आईटीआई के समन्वय से व्यावसायिक पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी। कलेक्टर आईटीआई और स्कूलों के प्राचार्यों तथा क्षेत्र के उद्योगपतियों की बैठक आयोजित कर यह तय करें कि स्कूलों में किस ट्रेड में व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ करना उपयोगी होगा जिससे बच्चों को 12वीं के बाद रोजगार मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन स्कूलों में क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए थे। वहां कक्षा प्रारंभ होने के पहले सेनेटाईजेशन करा लिया जाए। बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत एक वर्ष में 13.9 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से बाहर आए हैं। कुपोषण से 67 हजार 889 बच्चे मुक्त हुए।
मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक से 9 लाख से अधिक ग्रामीण लाभान्वित
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण अंचल के हाट बाजारों में नियमित रूप से स्वास्थ्य टीम की उपस्थिति सुनिश्चित करने के साथ ही जन सामान्य को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने आज कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए यह योजना शुरू की गई है। प्रत्येक हाट बाजार में स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण और इलाज करे, यह जरूरी है। उन्होंने कलेक्टरों को हाट बाजार क्लिनिक योजना के क्रियान्वयन के लिए पृथक से टीम एवं वाहन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य के 2310 हाट बाजारों में 2 अक्टूबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक कुल 28 हजार 155 क्लिनिक लगाए गए जिसके माध्यम से 9 लाख 40 हजार ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिया गया है।