कविता जागरूकता ही बचाओ है पड़े और जाने

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बेमौत मरेगी दुनिया सारी
महामारी का हर स्तर पर मजाक उड़ाओ!
दुनिया भर के लोगों को हर माध्यम से हंसाओ!
अपने मन को जैसा चाहे वैसे बहलाओ!
पर शासन प्रशासन के निर्देशों की धज्जियां ना उड़ाओ!
पूरी दुनिया आज जिससे परेशान है!
उसको हल्का समझते कुछ नादान है!
यह देख शासन प्रशासन भी हैरान है!
सड़क पर उनकी आरती उतारते अब जवान हैं!
क्यों कुछ समझते नहीं नादान है!

घर पर कैद है आज पूरी दुनिया सारी!
फिर भी क्यों मजाक बन रही है समझाइश हमारी!
जरा सी चूक हुई तो पछताओगे उम्र भर सारी!
कहलाओगे समाज विरोधी जिसको भुगतेगी पीढ़ी तुम्हारी!

अब भी ज्यादा कुछ नहीं बिगड़ा संभल जाओ,
हस्र देख लो दुनिया की सारी!
कुछ काम ना आया विकसित होने का गर्व इस बारी!
गड्ढा खोदकर अपनों को सामूहिक दफना रहे हैं इस बारी!

फिर ना कहना समझाया नहीं गया था तुमको हर बारी!
जान है तो जहान है कहती है दुनिया सारी!
अब तो दिखाओ कुछ समझदारी!

बेमतलब बाहर घूमने में नहीं है कोई समझदारी!
घर पहुंच सेवा अब उपलब्ध हो रही है उठा लो आनंद घर पर सारी!
नहीं तो बेमौत मारी जाएगी दुनिया सारी!
✍️ Be continue Basant mishra