हवा और पौधे में फंगस या कवक हो सकते हैं। कुछ ऐसे फंगस भी होते हैं जो स्वाभाविक रूप से मानव शरीर में रहते हैं। शरीर के किसी हिस्से में फंगस लगने से फंगल इन्फेक्शन होता है। यह इतना ज्यादा होता है कि इम्यून सिस्टम उससे लड़ नहीं पाता है। फंगल इन्फेक्शन की वजह से त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते, त्वचा पर दरारें, पपड़ी या प्रभावित हिस्से में दर्द, खुजली, त्वचा का कुछ हिस्सा नरम या सफेद, प्रभावित हिस्सों में पस के साथ दाने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
डॉ. का कहना है कि फंगल इन्फेक्शन रोगाणुओं की तरह ही होते हैं। इनमें से कुछ उपयोगी फंगस होते हैं, तो कुछ हानिकारक भी होते हैं। यह हानिकारक फंगस जब हमारे शरीर पर अटैक करते हैं, तो उन्हें मारना मुश्किल हो सकता है। कारण यही है कि ये हर तरह के पर्यावरण में जिंदा रह सकते हैं। यह व्यक्ति को फिर से संक्रमित कर सकते हैं।
फंगल इन्फेक्शन के होने की कई वजहें हो सकती हैं। यह बीमारी अक्सर गर्म और नम वातावरण में बढ़ती है। जिन लोगों को बहुत पसीना आता है, उन्हें फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। गीले कपड़े पहनना भी जोखिम का कारक है। तंग जूते या कपड़े पहनना, लंबे समय तक मोजे पहनना, व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान न रखना भी परेशानी का कारण बनता है। एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट और कमजोर प्रतिरक्षा (रोगों से लड़ने की ताकत) प्रणाली के कारण भी यह होता है।
फंगल इन्फेक्शन अलग-अलग प्रकार के होते हैं। एथलीट्स फुट नाम का फंगल इन्फेक्शन पैरों में होने वाला आम संक्रमण है। यह गर्मियों में और नम वातावरण में होता है। जूते, मोजे, स्विमिंग पूल या सार्वजनिक नमी वाले वातावरण में फंगस तेजी से बढ़ते हैं। एक अन्य प्रकार में कैंडिडा एलबिकन्स फंगल इन्फेक्शन है जो कि आमतौर पर त्वचा, मुंह की श्लेष्म झिल्ली, आंतों या योनि को प्रभावित करता है। दाद भी एक आम फंगल इन्फेक्शन है जो कि मुख्य रूप से त्वचा, सिर की त्वचा, पैरों, जांघों और जन्नांगों के बीच जुड़ने वाले हिस्से को प्रभावित करता है। नाखूनों का फंगस भी इसे पीला, कमजोर और मोटा बनाता है। यह मुंह में थ्रश का इन्फेक्शन कैंडिडा नाम के एक यीस्ट के कारण हो जाता है। यह इन्फेक्शन डायबिटीज, एचआईवी एड्स, कैंसर और किसी पुराने रोगों के अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाली दवाओं को खाने वाले लोगों को हो सकता है।
बेहतर होगा कि फंगल इन्फेक्शन के बचाव के लिए उपाय करें। इस विकास से बचने के लिए व्यक्तिगत हाइजिन का ध्यान रखें। बाथरूम या सार्वजनिक स्नान वाली जगहों पर नंगे पैर न जाएं। ठंडी और नमी वाले स्थानों पर पैरों को साफ रखें। एक ही मोजे लगातार न पहनें। रोजाना बदलें। ज्यादा तंग जूता न पहनें। अंडरगारमेंट साफ-सुथरी पहनें। किसी और की चीजों का इस्तेमाल न करें इससे भी फंगल इन्फेक्शन का जोखिम होता है।
डॉ. का कहना है कि कुछ घरेलू नुस्खे हैं, जिनकी मदद से फंगस को खत्म कर सकते हैं। सेब का सिरका, दही, लहसुन, टी ट्री तेल, नारियल तेल, ऑरेगैनो तेल, जैतून की पत्तियां, हल्दी का उपाय इससे छुटकारा दिला सकता है।