जाने ,अरविन्द केजरीवाल को मुख्यमंत्री के तौर पर कितनी मिलेगी सैलरी और दिल्ली की सत्ता की चाभी कैसे मिली केजरीवाल को

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सैलरी के अलावा मिलेंगी ये सुविधाएं
अरविंद केजरीवाल रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल को 3 लाख 90 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी मिलेगी। इस सैलरी में 2 लाख 20 हजार रुपए बेसिक वेतन और 1 लाख 70 हजार रुपए अन्य भत्तों के तौर पर शामिल हैं। इस सैलरी के अलावा मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल को सुरक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, आवासीय सुविधाएं, बिजली और फोन की सुविधा मिलेगी। पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद केजरीवाल को पेंशन के तौर पर एक निश्चित धनराशि मिलेगी, जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती है।


2015 में पास हुआ था सैलरी में बढोत्तरी का बिल
आपको बता दें कि 2015 में दिल्ली विधानसभा में अरविंद केजरीवाल की सरकार द्वारा पास किए गए बिल के मुताबिक, दिल्ली के विधायकों की बेसिक सैलरी 12 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए और कुल सैलरी 88 हजार रुपए से बढ़ाकर 2 लाख 10 हजार रुपए की गई थी। इस बिल में एक और अहम सिफारिश शामिल थी कि नया वेतन और भत्ते लागू होने के बाद दिल्ली के विधायकों का मूल वेतन हर 12 महीने के बाद 10 फीसदी यानी 5 हजार रुपए बढ़ाया जाएगा।


विधायकों के वेतन में ढाई गुना और मंत्रियों के वेतन में 3 गुना बढोत्तरी
इस बिल की सिफारिशों के मुताबिक दिल्ली सरकार के मंत्रियों, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, चीफ व्हिप और विपक्ष के नेता का बेसिक वेतन 80 हजार रुपए और अन्य भत्तों के साथ मिलाकर 367,670 रुपए होगा, जो पहले 120,000 था। इस बिल के मुताबिक विधायकों के वेतन में ढाई गुना और मंत्रियों के वेतन में तीन गुना बढोत्तरी की गई थी। इसके अलावा मंत्रियों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन के लिए हर माह 30 हजार रुपए दिए जाने का भी प्रस्ताव इस बिल में था।

विधायकों की सैलरी में शामिल हैं ये भत्ते
विधायकों की सैलरी में शामिल हैं ये भत्ते
बेसिक सैलरी में बढोत्तरी के अलावा इस बिल में निर्वाचन क्षेत्र भत्ते को भी 18 हजार रुपए मासिक से बढ़ाकर 50 हजार रुपए किए जाने का प्रस्ताव था। 2015 के इस बिल के मुताबिक दिल्ली सरकार के मंत्रियों को मोबाइल बिल के लिए 10 हजार रुपए और अपने घर व दफ्तर के फोन बिल के लिए 30 हजार रुपए प्रति माह दिए जाएंगे। इस बिल में विधायकों और उनके परिवार के लिए हर साल 3 लाख रुपए के यात्रा भत्ते के तौर पर दिए जाने का प्रस्ताव भी शामिल था।


भारतीय राजस्व सेवा से सीएम तक का सफर
गौरतलब है कि आईआईटी के छात्र रहे अरविंद केजरीवाल भारतीय राजस्व सेवा में थे। 2002 में अरविंद केजरीवाल ने भारतीय राजस्व सेवा से छुट्टी लेकर दिल्ली में एक्टिविस्ट के तौर पर काम करना शुरू किया और इसके बाद ‘परिवर्तन’ नाम से एक एनजीओ स्थापित किया। हालांकि अरविंद केजरीवाल को असली पहचान मिली 2011 के अन्ना आंदोलन से। इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे। इसके बाद साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि वो अब सक्रिय राजनीति में उतरेंगे और उन्होंने अपनी आम आदमी पार्टी का गठन कर दिया।

पत्नी को जन्मदिन पर दिया जीत का गिफ्ट
पत्नी को जन्मदिन पर दिया जीत का गिफ्ट
अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी भारतीय राजस्व सेवा में हैं। 11 फरवरी को जब दिल्ली चुनाव के नतीजे घोषित किए गए तो उसी दिन सुनीता केजरीवाल का जन्मदिन भी था। आम आदमी पार्टी को मिली जीत के बाद सुनीता केजरीवाल ने कहा कि उनके जन्मदिन पर इससे शानदार गिफ्ट कुछ और हो ही नहीं सकता है। सुनीता केजरीवाल ने कहा कि आज सत्य की जीत हुई है, आज की जीत साबित करती है कि काम करने वाले के साथ ही जनता साथ होती है। उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करती हैं कि इस जीत से दूसरी राजनीतिक पार्टियां सबक लेंगी।

दिल्ली में सबसे बड़ी जीत भी AAP के खाते में
दिल्ली में सबसे बड़ी जीत भी AAP के खाते में
11 फरवरी को घोषित किए गए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत मिली है। वहीं भाजपा के हिस्से में बची हुई 8 सीटें गई हैं। दिल्ली में सबसे बड़े अंतर की जीत भी आम आदमी पार्टी को मिली है। दिल्ली की बुराड़ी विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव झा ने कुल 88427 वोटों के अंतर से जेडीयू उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। वहीं, कांग्रेस इस चुनाव में बुरी तरह पिछड़ गई। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला और उसके लगभग सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।

जीत के बाद विरोधियों के निशाने पर भाजपा
जीत के बाद विरोधियों के निशाने पर भाजपा
दिल्ली में मिली जीत पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को मिली करारी हार पर कहा, ‘दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में मुझे कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं लगा। इन चुनाव नतीजों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि देश में अब बदलाव की हवा चल पड़ी है। मुझे नहीं लगता कि भारतीय जनता पार्टी की हार का सिलसिला जल्दी से खत्म होगा। इस चुनाव में भी भाजपा ने सांप्रदायिक कार्ड खेलकर वोटों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली की जनता ने उनकी बांटने वाली राजनीति को नकार दिया है।’

‘अरविंद केजरीवाल को जीत पर शुभकामनाएं’
‘अरविंद केजरीवाल को जीत पर शुभकामनाएं’
शरद पवार ने आगे कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी क्षेत्रीय दलों को एकसाथ आना चाहिए। दिल्ली के चुनाव परिणाम केवल राजधानी तक ही सीमित नहीं थे, सभी राज्यों के लोग वहां रहते हैं। जिस तरह उनके अपने राज्यों में बदलाव का माहौल है, उसे देखते हुए लोगों ने दिल्ली में भी अपने वोट के जरिए अपना फैसला सुनाया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्या हुआ, ये देखना चाहिए। भाजपा की हार का सिलसिला अभी खत्म होने वाला नहीं है। दिल्ली में जीत के लिए अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बधाई।’

भाजपा ने शाहीन बाग को बनाया था मुद्दा
भाजपा ने शाहीन बाग को बनाया था मुद्दा
दिल्ली चुनाव में इस बार शाहीन बाग का मुद्दा भी गरमाया हुआ था। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में लोग पिछले करीब 2 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान शाहीन बाग को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने विवादित बयान भी दिए थे, जिन्हें लेकर चुनाव आयोग ने दोनों नेताओं के प्रचार करने पर बैन लगाया था। वहीं, दिल्ली की मॉडल टाउन सीट से भाजपा उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने भी चुनाव के दौरान ट्वीट कर कहा था कि 8 फरवरी को हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा।