कर्नाटक उपचुनाव में अपने दम पर भारी जीत से येदियुरप्पा सरकार का बहुमत कायम

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बेंगलुरु। कर्नाटक में विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा ने 12 सीटें जीत ली हैं, इसका सबसे बड़ा असर यह हुआ है कि बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली चार माह पुरानी भाजपा सरकार अब 225 सदस्यीय सदन में अपने दम पर बहुमत कायम रखने कामयाब हो गई है। इसके पहले 208 सदस्यों की प्रभावी संख्या वाले सदन में भाजपा के 105 सदस्य रहे हैं। दो सीटें अभी भी रिक्त हैं। यह उपचुनाव कांग्रेस और जद के 17 बागी सदस्यों की सदस्यता समाप्त होने के बाद कराए गए हैं। कर्नाटक में भाजपा की इस जीत पर खुशी जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की एक चुनावी सभा में कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ने जनादेश को पिछले दरवाजे से चुरा लिया था लेकिन अब जनता ने उसे सबक सिखा दिया है। उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी विधायक दल के नेता सिद्धारमैया तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। दोनों ने ‘असंतोषजनक चुनाव परिणाम’ का हवाला देते हुए अपने इस्तीफे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे हैं। पांच दिसंबर को हुए उपचुनाव में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें (हुनासुरु और शिवाजीनगर) जीतने में कामयाब हुई है, जबकि पहले उसके पास 15 में से 12 सीटें थीं। एक सीट होसकोटे पर निर्दलीय शरत बचेगौड़ा जीते हैं, जिन्हें भाजपा ने पहले पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था। यह भी उल्लेखनीय है कि इन 15 सीटों में से तीन सीटें- केआर पेटे, महालक्ष्मी लेआउट तथा हुनसुर- पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा नीत जदएस के पास थी, जिसे उपचुनाव में एक भी सीट नहीं मिली है। उपचुनाव में 15 में से 12 सीटें जीतने के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 105 (एक निर्दलीय समेत) से बढ़कर अब 117 हो गई है। सदन में अभी दो सीटें खाली होने से प्रभावी संख्या 223 है और इस हिसाब से बहुमत का आंकड़ा 112 बनता है। यदि रिक्त सीटों को भी जोड़ लिया जाए तो कुल 225 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 113 का आंकड़ा चाहिए और अब भाजपा के अपने दम पर 117 विधायक हैं। इस तरह सरकार की स्थिरता और बहुमत पर मुहर लग गई है। हाई कोर्ट में केस लंबित होने के कारण अभी मस्की और आरआर नगर की सीटों पर चुनाव नहीं हुए हैं। सदन में कांग्रेस के 66 तथा जदएस के 34 सदस्य बचे हैं। भाजपा ने उपचुनाव में 16 अयोग्य करार दिए गए विधायकों में से 13 को अपना उम्मीदवार बनाया था, जो सुप्रीम कोर्ट से चुनाव लड़ने की अनुमति मिलने के बाद पार्टी में शामिल हो गए थे। इनमें 11 विजयी हुए हैं। उपचुनाव में भाजपा की भारी जीत से गदगद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वह शेष बचे साढ़े तीन साल के कार्यकाल में एक स्थिर और विकासोन्मुखी सरकार देंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पहले अयोग्य ठहराए गए विधायकों से किए गए वादे से पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है और अब जो जीतकर आए हैं, उनमें से मंत्री भी बनाए जाएंगे। येदियुरप्पा जल्द ही कैबिनेट का विस्तार करने वाले हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि जीत कर आए नए विधायकों तथा पुराने साथियों के बीच येदियुरप्पा के लिए संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। फिलहाल मुख्यमंत्री समेत 18 मंत्री हैं और राज्य में कुल 34 मंत्री हो सकते हैं। उपचुनाव में करारी हार से कांग्रेस के सारे मंसूबों पर पानी फिर गया है। कांग्रेस की रणनीति थी कि यदि भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं होता है तो वह फिर से अपने पूर्व साझीदार जदएस के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश करेगी। कांग्रेस ने तो मध्यावधि चुनाव तक का अनुमान लगाया था। लेकिन उसकी रणनीति धरी रह गई। विधायकों की बगावत के कारण ही कांग्रेस और जदएस गठबंधन सरकार का पतन हो गया था और येदियुरप्पा ने सरकार बनाई थी।