जीएसटी के तहत सालाना रिटर्न फाइल करने की समय सीमा दो महीने बढ़ाकर 30 अगस्त 2019 कर दी गई हैं

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नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लिए गए। राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने बताया कि बैठक में यह फैसला लिया गया कि अब व्यापारी आधार के जरिए जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। पहले इसके लिए कई दस्तावेजों की जरूरत होती थी। उन्होंने बताया कि आधार के जरिए रजिस्ट्रेशन से व्यापारियों को कई फायदे भी होंगे। पांडेय ने कहा- हमने जीएसटी रजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए आधार के इस्तेमाल का फैसला लिया है। अब व्यक्ति आधार के जरिए आॅनलाइन जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर सकता है। इसके बाद उसे ओटीपी मिलेगा, जिसके जरिए वह जीएसटीएन पोर्टल पर खुद को रजिस्टर कर सकता है और रजिस्ट्रेशन नंबर हासिल कर सकता है। “जीएसटी के तहत सालाना रिटर्न फाइल करने की समय सीमा दो महीने बढ़ाकर 30 अगस्त 2019 कर दी गई है। पहले यह 30 जून थी 2019 थी। जीएसटी का नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम 1 जनवरी 2020 से लागू होगा।” पांडेय ने कहा- काउंसिल ने जीएसटी एंटी-प्रॉफीटियरिंग अथॉरिटी का कार्यकाल भी 2 साल तक बढ़ा दिया है। इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का टैक्स स्लैब घटाने का प्रस्ताव “काउंसिल ने प्रस्ताव भेजा है कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% किया जाए। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक चार्जरों को भी 18% की बजाय 12% की टैक्स स्लैब में लाया जाए।” जो इकाइयां जीएसटी के रेट कट का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दे रही हैं, उनक पर 10% जुर्माना लगाने के प्रस्ताव को भी काउंसिल ने मंजूरी दी। काउंसिल ने इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग व्यवस्था और मल्टीप्लेक्स में ई-टिकटिंग को भी मंजूरी दे दी। काउंसिल ने देश में बिजनेस टू बिजनेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉयसिंग सिस्टम (ई-इनवॉयस) को चरणबद्ध तरीके से लाने का फैसला किया है। ये तेजी से विकसित होती तकनीक है जो टैक्सपेयर्स को बैकवर्ड इंटिग्रेशन और टैक्स संबंधी प्रक्रियाओं के आॅटोमेशन में मदद करेगी। इसके आने से अधिकारियों को टैक्स चोरी पकड़ने में भी सहायता होगी। इस सिस्टम को अमल में लाने के लिए पहले चरण को स्वैच्छिक बनाया गया है और ये जनवरी 2020 से शुरू होगा।