महिलाओं के इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बहुत कम होता है। वे ज्यादातर इस बीमारी के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक इकाइयों की वाहक की भूमिका निभाती हैं। हीमोफीलिया दो तरह का होता है, हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी। हीमोफीलिया ए और बी वाले लोगों में अक्सर, अन्य लोगों की तुलना में लंबे समय तक रक्तस्राव होता है। दरअसल हीमोफीलिया ए और बी एक्स गुणसूत्र या एक्स क्रोमोसोम द्वारा होता है। ये हम सब जानते हैं कि महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते है परन्तु पुरुषों में दो अलग-अलग प्रकार के एक्स और वाय क्रोमोसोम होते हैं। पुरुषों में एक्स क्रोमोसोम महिला से और वाय क्रोमोसोम पिता से आता है। इन्हीं क्रोमोसोम से बच्चे का लिंग निर्धारित होता है। क्रोमोसोम में ही हीमोफीलिया पैदा करने वाले जीन्स होते हैं। महिलाएं इस रोग की वाहक होती हैं। यानी बेटे में एक्स क्रोमोसोम मां से मिलता और यदि एक्स क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित हो तो बेटे को हीमोफीलिया हो जाएगा। परन्तु बेटी में एक एक्स क्रोमोसोम मां से मिलता है। और यदि वो हीमोफीलिया से ग्रसित हो लेकिन पिता से आने वाला एक्स क्रोमोसोम हीमोफीलिया से ग्रसित नहीं हो तो बेटी में यह बिमारी नहीं होगी। पिता से बच्चों में हीमोफीलिया अधिकतर नहीं होती है। इस बीमारी में शरीर के बाहर बहता रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है। इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है।आइए जानें इस बीमारी से बचने के तरीकों के बारे में -1.एस्परिन या नॉन स्टेरॉयड दवा लेने से जहां तक संभव हो बचें, 2. हेपेटाइटिस बी का वैक्सिनेशन जरूर लगवा लें, 3.फैक्टर 8 और 9 से पीड़ित लोग कहीं भी जाते समय ब्लीडिंग होने या ज्वाइंट डैमेज पर होने वाले नुकसानों से बचने के उपायों का इंतजाम करके चलें। बेहतर हो कि डॉक्टर का नंबर हमेशा आपके पास हो, 4. हीमोफीलिया से पीड़ित महिला के बेटा होने पर अगर ये साबित हो गया है कि वह भी हीमोफीलिया से पीड़ित है तो उसे बहुत देखभाल की जरूरत होगी। 5.हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति इससे जुड़ी जानकारी को हमेशा साथ लेकर चलें और समय-समय पर अपडेट होते रहें। क्या हैं हीमोफीलिया के लक्षण- चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहना,शरीर के किसी भी भाग पर बार.बार नीले चकत्ते पड़ना,सूजन के स्थान पर गर्माहट और चिनचिनाहट महसूस होना,बच्चों के मसूढ़ों अथवा जीभ में चोट लगने पर खून का लंबे समय तक रिसते रहना,शरीर के विभिन्न जोड़ों, विशेषकर घुटनों, एड़ी, कोहनी आदि में बार-बार सूजन।