राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर मे मीडीया से बात करते हुए कहा कि , राफेल का बड़ा मुद्दा है देश के अंदर,राहुल गांधी जी बार-बार इस मुद्दे को उठा रहे हैं 2 साल से। अगर नेशनल पार्टी का अध्यक्ष कोई मुद्दा उठाए, सरकार के पास प्रॉपर जवाब होना चाहिए, जवाब ना पार्लियामेंट के अंदर आया है और ना बाहर आया है। एक सवाल उठता है जनता के दिमाग में जो टेंडर हो रहे थे यूपीए गवर्नमेंट के वक्त में, दो पार्टियों ने भाग लिया एक पार्टी चयन की जो राफेल लड़ाकू विमान उच्च कोटे का है 526 करोड़ रुपए तय हुई कीमत, सरकार बदल गई या तो टेंडर कैंसिल होता वापस टेंडर होता, बिना टेंडर कैंसिल हुए, अगर सड़क बनती है तो नया टेंडर होता है तो अलग बात है बिना टेंडर कैंसिल हुए आपने सरकार बदलते ही प्रधानमंत्री जी खुद गए फ्रांस के अंदर और वहां पर जाकर के 526 करोड़ का प्लेन 1660 करोड़ का हो गया, देश को जरूरत थी 126 प्लेन की उस पर आप 32 पर आ गए, प्रक्रिया अपनाई नहीं ना मिनिस्ट्री से अपनाई, और पेरेलल प्रक्रिया अपनाई गई पीएमओ से। यह कभी आज तक इतिहास में कभी नहीं हुआ, इतना बड़ा मुद्दा है जिसका जवाब देश मांगता है, ना प्रधानमंत्री जी दे रहे हैं और नाम रक्षा मंत्री जी दे रहे हैं, घुमा फिरा के बात जरूर कर रहे हैं वह इसलिए अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है तो उनका सही निर्णय है। सुप्रीम कोर्ट का जो पिछली बार फैसला आया था उसमे जिस प्रकार के हालात बने, मुंह दिखाने लायक सरकार नहीं रही थी, सरकार खुद ने जो एफिडेविट दिए, पब्लिक अकाउंट्स कमिटी की बात की गई पूरे देश में मजाक बन गई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंदर वह बातें आ गई जिसके लिए नया एफिडेविट देना पड़ा सरकार को की नहीं वास्तव में अभी जांच नहीं करी है जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कह रहा है, जांच भी हो गई पीएसी ने देख भी लिया तो पब्लिक अकाउंट्स कमिटी के चेयरमैन खड़गे साहब को कहना पड़ा की भाई चेयरमैन तो मैं हूं, और कब देख लिया कब जांच कर ली पता ही नहीं हमें तो तब नया एफिडेविट सरकार को देना पड़ा, ऐसी मजाक तो आजादी के बाद में किसी की नहीं बनी होगी की सरकार को खुद को डाउट में आना पड़े। स्वागत करता हूं मैं इस फैसले का और मैं उम्मीद करता हूं कि जहां पर आरोप लग रहे हैं इसकी तह तक सुप्रीम कोर्ट जाएगी और देश को बताएगी कि वास्तव में क्या स्थिति है, देश हित में क्या होना चाहिए था क्या हुआ है।
दूसरी बात मैं कहना चाहूंगा नोटबंदी के बारे में, नोट बंदी जिस प्रकार से नोट बिखेरे जा रहे हैं देश के अंदर है, पूरे देश के अंदर नोट बिखेरे जा रहे हैं चुनाव के अंदर, बीजेपी के बड़े बड़े भवन बन गए फाइव स्टार कल्चर के, कहाँ तो यह चाल, चरित्र और चेहरे की बात करते थे यह लोग, कहां इनकी चाल भी सामने आ गई, चरित्र भी सामने आ गया और चेहरा भी सामने आ गया। फाइव स्टार कल्चर के बने इनके हेड क्वार्टर दिल्ली में, उद्घाटन हो गया पर इनका बीजेपी आॅफिस वहां शिफ्ट होने की हिम्मत नहीं हो रही है कि बीजेपी के कार्यकर्ता खुद ही पूछने लगे कि यह कौन सा कल्चर लेकर आ गए आप लोग ऐसे ही भवन बने हैं इनके पूरे देश के अंदर, उत्तर प्रदेश में बन गए, यह पैसा कहां से आ रहा है ट्रकों में पैसा जा रहा है ट्रकों में, कोई विश्वास नहीं करेगा छिपाकर के और चुनाव के अंदर इस प्रकार से बांटा जा रहा है और बाकी पार्टी के ऊपर छापे पड़ रहे हैं, मुख्यमंत्रियों के मिलने वालों के ऊपर छापे पड़ रहे हैं, पूरी तरह देश में आतंकवाद सरकार ने फैला रखा है, इडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के माध्यम से। इलेक्शन कमिशन को कहना पड़ा कि सबके साथ में इक्वल व्यवहार हो और अगर छापा डालना भी है तो आप पहले हमें इतला करो। बिना इत्तला हुए छापे पड़ रहे हैं, पैसे का मूवमेंट तो चुनाव में होता है तभी तो चुनाव लड़े जाते हैं ?500000 लेकर के कोई आज चलने की स्थिति में नहीं है, चाहे व्यापारी हो, उद्यमि हो , ठेकेदार हो कोई भी हो, पता नहीं 5 लाख में लेकर जाऊंगा बांटने के लिए मजदूरों को रास्ते में मेरा क्या होगा यह भय, आतंक का माहौल देश में बन चुका है। नंबर दो जो नोटबंदी हुई है, नोट बंदी अपने आप में बहुत बड़ा स्कैंडल हुआ है इसीलिए पैसा डिस्ट्रीब्यूट हो रहा है बीजेपी का, सरकार बनेगी यूपीए की तो वापस जांच होनी चाहिए नोटबंदी की। नोट बंदी के पीछे मंशा क्या थी, नोट बंदी के माध्यम से कितने लोगों ने क्या फायदा उठाया, व्यापार धंधे ठप्प हो गए, लोगो को निकालना पड़ा मजदूरों को भी और कर्मचारियों को भी, फायदा किसको मिला, ना ब्लैक मनी खत्म हुई, ना आतंकवाद खत्म हुआ, ना नक्सलवाद की कमर टूटी और जो ब्लैक मनी थी वह वाइट में कन्वर्ट हो गई तो यह स्थिति देश में बनी हुई है, बहुत खतरनाक स्थिति में देश चल रहा है इसलिए मैं बार-बार कहता हूं जनता को इस सोशल मीडिया के माध्यम से जिस प्रकार से थोपा जा रहा है मोदी जी, अमित शाह जी षडयंत्र के अंतर्गत जिस प्रकार के लोगों को गुमराह करने के लिए सोशल मीडिया में करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, बड़ी-बड़ी टीमें लगाई गई है जो कि युवाओं में गलतफहमी पैदा करो, झूठ का प्रचार करो, भ्रम पैदा करो नंबर एक। नंबर दो जो यह गुमराह कर रहे हैं देश को राष्ट्रवाद के नाम पर, इनके पास में बताने के लिए उपलब्धियां कुछ भी नहीं है 5 साल में कितना लाभ मिला, एनएसएसओ के जो आंकड़े होते हैं वह देश को बताते हैं उसके आधार पर हर विभाग कार्रवाई करता है हमें अब आगे क्या करना है, क्या योजनाएं बनानी है पूरे देश के लिए अंदर प्लानिग कमिशन हो या कोई भी संस्था हो विभाग हो । आज पहली बार ऐसा हुआ है एनएसएसओ के आंकड़े जो है वो छुपाए जा रहे हैं जारी नहीं किए जा रहे। देश के तमाम अखबार जो है उन सब ने संपादकीय लिख दिए हैं अपने अपने तरीके से, की आलोचना करी है कि सरकार क्या चाहती है करना। अंदाज से आंकड़े आ रहे हैं सामने तो यह जिस प्रकार से मोदी जी राष्ट्रवाद की बात करते हैं, राष्ट्र प्रेम की बात करते हैं जैसे हम तो कोई राष्ट्रप्रेमी है ही नहीं, यह जो षड्यंत्र उनका है कि भावात्मक मुद्दे लेकर हम चुनाव जीता जाए, इस चुनाव में वह चलने वाले हैं नहीं जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे वह पूरे एक्सपोज हो रहे हैं, जनता साथ छोड़ रही है और आप देखेंगे कि मोदी जी को बहुत बड़ा झटका लगेगा अगली सरकार मोदी जी के नहीं बनने वाली है। पूरे देश में लंबे समय से चाहे वो इंडस्ट्रीलिस्ट हो, ब्यूरोक्रेट हो, पॉलीटिशियन हो या मीडिया हाउसेज हो सब लोग जो है टेलीफोन से बात करते हुए चमकते हैं, व्हाट्सएप पर बात कर लो भाई, लैंड लाइन पर आ जाओ। जिस मुल्क में यह स्थिति बन जाए वहां लोकतंत्र कहां है, आज लोकतंत्र दिखता है क्या ,लोकतंत्र में आप आलोचना कर सकते हो प्राइम मिनिस्टर की, मुख्यमंत्री की, एमएलए की, एमपी की, मंत्री की कोई रोक नहीं सकता आपको पर आप आज आलोचना कर लो देशद्रोही कह लाओगे, राष्ट्र विरोधी कहलाओगे और मुकदमे दर्ज होंगे। हिंसा का, घृणा का, नफरत का माहौल देश के अंदर है। राहुल गांधी कहते हैं कि मैं नहीं चाहता घृणा का, नफरत का माहौल नहीं रहे, हमारी कोई दुश्मनी किसी से नहीं है हम अपनी बात कही पार्टी की नीतियां क्या है सिद्धांत क्या है कार्यक्रम क्या है, वह अपनी बात कहें जनता फैसला करे किसको कुर्सी सौपनी है।तमाम तरीके से एक्सपोज हो रहे हैं प्राइम मिनिस्टर खुद हो रहे हैं, एनडीए गवर्नमेंट हो रही है और सब के सामने सच्चाई आ जाए।अब बैसला जी, कोई इंसान जो है इस धरती पर उनकी जो आत्मा कहे कि मेरी नीतियां मेरे कार्यक्रम किसी से मिलते हैं तो उस ढंग से वह ज्वॉइन करें तो उस पर हम कोई कमेंट नहीं करना चाहते हैं। यह आदमी की फ्रीडम है, हम व्यक्ति की फ्रीडम पर विश्वास करते हैं, जो जहां जाना चाहिए जाए, अल्टीमेटली देश का हित सर्वोपरि रखें यही मेरा कहना है।