लंदन, पीटीआइ। वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पारदर्शी लकड़ी विकसित की है जो कि न केवल प्रकाश संचरण का माध्यम बनेगी बल्कि, ऊष्मा को अवशोषित और जरूरत पड़ने पर उसे उत्सर्जित भी करेगी। इसके साथ ही यह भारी वजन भी सहन कर सकती है। इस वजह से पर्यावरण के अनुकूल घर, आॅफिस और अन्य भवन बनाने में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से बिजली की लागत भी बचाई जा सकती है। स्वीडन के रॉयल इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी के पीएचडी स्टूडेंट ने बताया कि इस पारदर्शी लकड़ी में कांच की तुलना में ज्यादा थर्मल इंसुलेशन गुण मौजूद हैं। शोधकतार्ओं ने बताया कि जैसे-जैसे दुनियाभर में आर्थिक विकास बढ़ रहा है वैसे ही ऊर्जा की खपत भी बढ़ गई है। इस ऊर्जा का बहुत सारा भाग घर, आॅफिस और भवनों को मौसम के अनुसार ठंडा और गर्म रखने में खर्च हो जाता है। इस वजह से उन्होंने यह नई तकनीक विकसित की है। उन्होंने बताया कि कांच की खिड़कियां भी प्रकाश का संचारण करती हैं और सर्दियों में घर को गर्म रखती हैं लेकिन वह ऊष्मा को अवशोषित कर इकट्ठा नहीं कर सकती हैं। इसलिए सूर्य अस्त होने पर वह बेकार हो जाती हैं। जबकि, पारदर्शी लकड़ी ऐसी स्थिति में सूर्य से प्राप्त ऊष्मा को अवशोषित कर इकट्ठा कर लेती है और बाद में उसका उपयोग किया जा सकता है। शोधकतार्ओं ने बताया कि यह पारदर्शी लकड़ी भारी वजन वहन करने में भी सक्षम है। यह किसी भी बिल्डिंग मैटीरियल- सीमेंट, कांच, प्लास्टिक, कंकरीट से ज्यादा पर्यावरण के अनुकूल है। प्राकृतिक तरीके से यह आसानी से डिस्पोज हो जाती है। शोधकतार्ओं ने बताया कि उन्होंने यह पारदर्शी लकड़ी बाल्सा की लकड़ी की कोशिका भित्ति से लिगनिन नामक एक प्रकाश सोखने वाले घटक को हटाकर बनाई है। प्रकाश प्रकीर्णन को कम करने के लिए उन्होंने इस लकड़ी में एक्रिलिक का उपयोग किया। ऊष्मा को अवशोषित करने के लिए शोधकतार्ओं ने इस लकड़ी के बीचोबीच एक पॉलीमर पॉलीइथिलीन ग्लाइकोल का उपयोग किया। यह पीईजी गर्मी बढ़ने पर ऊष्मा अवशोषित करता है। 26 डिग्री सेल्सियस पर यह पिघल जाता है और रात को तापमान गिरने पर यह फिर से ठोस हो जाता है। पिघलते समय यह ऊष्मा अवशोषित कर घर को ठंडा रखता है और वापस कठोर होते समय यह ऊष्मा उत्सर्जित करता है।