कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के एक फरमान ने राजस्थान के मंत्रियों की टेंशन बढ़ा दी है, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंत्रियों से कहा है कि लोकसभा चुनाव में उनके इलाकों में जीत होगी तो ही वे अपना पद बरकरार रख सकेंगे, जिन मंत्रियों के इलाकों में पार्टी नहीं जीतेगी उनका पद छीना जा सकता है, विधायकों को भी पार्टी ने साफ संदेश दिया है ,कि अगर आगे मंत्री बनना है तो पहले लोकसभा में पार्टी को जीत दिलवाइ, कांग्रेस के सह प्रभारी सचिव विवेक बंसल का कहना है कि मंत्रियों को उनके इलाकों में पार्टी की जीत का टारगेट दिया गया है, उन्हें अपने इलाके में पार्टी को जीत दिलवानी होगी, तभी वे अपना पद बरकरार रख पाएंगे, राहुल गांधी ने सभी को साफ निर्देश दिए हैं कि लोकसभा चुनाव की जीत ही मंत्री पद को बरकरार रखने और नए विधायकों को मंत्री बनने का आधार होगी, राहुल गांधी के इस फरमान के बाद अब मंत्रियों ने फील्ड में मोर्चा संभाल लिया है, हर मंत्री अब इसी कवायद में जुट गया है कि जो भी हो, लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र से तो कम से कम कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त मिल जाए ताकि कुर्सी सलामत रह सके, मंत्री बनने की चाहत रखने वाले विधायक भी इसी कवायद में जुट गए हैं, इसका असर अब फील्ड में भी दिखना शुरू हो गया है, मंत्रियों के पास दोहरी जिम्मेदारी है, अपने विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त दिलवाने के अलावा उनके पास प्रभार वाले जिले में भी कांग्रेस को बढ़त दिलवाने का चैलेंज है, कई मंत्री दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि खुद के निर्वाचन क्षेत्र में तो बढ़त दिलवाई जा सकती है, लेकिन प्रभार वाले जिले में बढ़त दिलवाना चुनौती वाला काम है, विधानसभा चुनावों में कमजोर प्रदर्शन वाले 10 जिलों के प्रभारी मंत्रियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, विधानसभा चुनावों में पाली,जालोर, सिरोही, भीलवाड़ा, झालावाड़, कोटा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद में कांग्रेस बीजेपी से पीछे रही थी, इन इलाकों में कांग्रेस को बढ़त दिलवाने की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों की है, लोकसभा चुनाव के परिणाम बहुत से मंत्रियों के भाग्य का फैसला करने वाले हैं