गरियाबंद। आज हम आपको छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे विश्व के सबसे विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कराने जा रहे हैं। यह ऐसा शिवलिंग है जिसके बारे में मान्यता है कि यह आज भी बढ़ रहा है हरी-भरी प्राकृतिक वादियों के बीच जिला मुख्यालय गरियाबंद से महज 3 किलोमीटर दूर अद्भुत अकल्पनीय सा दिखता यह शिवलिंग पूरे छत्तीसगढ़ के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया है। दूर-दूर से यहां भक्त जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने पहुंचते हैं। भोले बाबा भी उनकी मन मांगी मुराद जरूर पूरी करते हैं। यही कारण है कि बीते 8-10 सालों में यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। ऐसी मान्यता है कि यह शिव लिंग हर साल अपने आप में बढ़ता जा रहा हैं। नगे पांव मीलो दूर से आते है भोले के भक्त। इस शिवलिंग के बारे में बताया जाता है कि आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व जमीदारी प्रथा के समय पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती बाडी थी। शोभा सिंह शाम को जब अपने खेत मे घुमने जाता था तो उसे खेत के पास एक विशेष आकृति नुमा टीले से सांड के हुंकारने एवं शेर के दहाडनें की आवाज आती थी। अनेक बार इस आवाज को सुनने के बाद शोभासिंह ने उक्त बात ग्रामवासियों को बताई। ग्राम वासियों ने भी शाम को उक्त आवाजे अनेक बार सुनी। तथा आवाज करने वाले सांड अथवा शेर की आसपास खोज की। लेकिन दूर दूर तक किसी जानवर के नहीं मिलने पर इस टीले के प्रति लोगों की श्रद्वा बढ़ने लगी और लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे। इस बारे में पारागावं के लोग बताते है कि पहले यह टीला छोटे रूप में था। धीरे धीरे इसकी उचाई एवं गोलाई बढ़ती गई। जो आज भी जारी है इस शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है। जो धीरे धीरे जमीन के उपर आती जा रही है।