20 साल बाद हाईकोर्ट ने निर्णय में PMHM त्रिवर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम को वैध माना

0
175

2001 में राज्य शासन ने दूरस्थ सुदूर ग्रामीण अंचलों में चिकित्सक की कमी को देखते हुए छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल एक्ट की स्थापना की जिसके तहत प्रेक्टिशनर इन मॉडर्न एंड होलिस्टिक मेडीसिन (PMHM) कोर्स की शुरआत की गई जिसे राज्य की 2 बड़े विश्वविद्यालय रविशंकर , एवं गुरुघासीदास विश्वविद्यालय के माध्यम से मान्यता दी गयी।
किंतु इस कोर्स की शुरुआत चालू के साथ ही यह कोर्स विवादों के घेरे में आ गया , इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसका विरोध किया और छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल एक्ट को केंद्रीय एम सी आई एक्ट 1956 के तहत असंवैधानिक बताते हुए इसे अल्ट्रावाइरस घोषित करने तथा चिकित्स मंडल भंग करने हेतु हाईकोर्ट में राज्य शासन के खिलाफ याचिका दायर की। जिसमे 20 साल तक दोनों पक्षो के बीच हुई बहस और सभी मुद्दों पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट में अंतिम निर्णय में छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल को संवैधानिक माना और कहा कि राज्य शासन स्वास्थ्य संबंधित नीतिगत निर्णय लेने हेतु स्वतंत्र है।

2012 में शासकीय चिकित्सक संघ ने भी इस कोर्स के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसमे कहा गया था कि राज्य शासन की गलत नियम विरुद्ध 741 चिकित्सा अधिकारियों के पद को विलोपित करते हुए ग्रामीण चिकित्सा सहायक के रेगुलर पद का सृजन किया जिसे विलोपित किया जाए , इसमे भी हाईकोर्ट ने अंतिम निर्णय में आर.एम.ए पद को पूर्ववत रखा है

@ 4 फरवरी 2020 को 20 साल तक चले केस में हाईकोर्ट के निर्णय की मुख्य बिंदु

  1. छत्तीसगढ़ चिकित्सा मंडल का गठन असंवैधानिक नही , नही होगा भंग।

2 ग्रामीण चिकित्सा सहायक RMA का पद भी नही होगा विलोपित पूर्व की भांति कार्य करते रहेंगे, शासकीय नौकरी पे कोई आंच नहीं पूर्ववत कार्य करेंगे ।

  1. पद , कैडर बनाना शासन का अधिकार, राज्य की स्थिति के हिसाब से निर्णय लेने अधिकार राज्य शासन को है , ले सकती है नीतिगत निर्णय।
  2. समय -समय पर त्रिवर्षीय चिकित्सको को राज्य शासन द्वारा , संचालक स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा दिये गए निर्देशो एवं सौपे गए कार्यो को करने के लिए होंगे बाध्य।
  3. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों , सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों , हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में खंड चिकित्सा अधिकारी/ चिकित्सा अधिकारी के सीधे नियंत्रण में करेंगे कार्य ।
  4. स्वतंत्र प्रेक्टिस पर रोक , परंतु प्राथमिक चिकित्सा , स्थिरीकरण का अधिकार रहेगा , गंभीर स्थिति में प्राथमिक उपचार स्थिरीकरण कर उच्च चिकित्सा संस्थान में रिफर करना पड़ेगा।
  5. टेलेकन्सल्टेशन/टेलीमेडिशिन से इलाज कर सकते है।
  6. राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमो की मॉनिटरिंग , सुपरविजन , संचालन उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में करेंगे।

ज्ञात हो पिछले 2 दशकों में आर एम ए की पदस्थापना के बाद से छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य सूचकांकों में अभूतपूर्व प्रगति की, तथा अन्य राज्यो से छत्तीसगढ़ के शिशु एवं मातृत्व मृत्युदर बहुत कम हो चुकी है।

ग्रामीण चिकित्सा सहायको को शासन से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्य सौपा है जिसमे ये त्रिवर्षीय चिकित्सक सारे राष्ट्रीय कार्यक्रमो के संचालन और दुरस्थ अंचलो में चिकित्सा सुविधा पहुचाने में अहम भूमिका निभा रहे है , डब्लू एच ओ के मुताबिक किसी भी देश मे प्राथमिक स्तर की चिकित्सा व्यवस्था का स्तर ही उस देश की स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति तय करता है और यह कहना गलत नही होगा कि वर्तमान में ग्रामीण चिकित्सा सहायक छत्तीसगढ़ की प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सुविधा की रीढ़ है , जिसका सीधा कारण एम बी बी एस चिकित्सको की दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में कमी है ।

छत्तीसगढ़ के RMA के सफल प्रयोग को देखते हुए केंद्र शासन ने भी पिछले वर्ष पारित नेशनल मेडिकल बिल में मिड लेवल सर्विस हेल्थ केयर प्रोवाइडर का प्रावधान रखा है , ताकि एम बी बी एस चिकित्सकों की कमी , अनुपस्थिति में जान मानस को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।