नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सीमेंट कीमत बढ़ोत्तरी के लिए कहा:- क्या सरकार चुनावी चंदा की भरपाई कर रही ।

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धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार सीमेंट कंपनियों के सामने विवश क्यों नज़र आ रही है? कहीं यह चुनावी चंदों की भरपाई के लिए प्रदेशवासियों की जेब पर डाका डालने की तैयारी तो नहीं है? उन्होंने कहा कि अकारण सीमेंट के भाव बढ़ाने से आम तबके को खामियाजा भुगतना होगा. लोगों के मकान बनाने का सपना धरा का धरा रह जाएगा. सरकार और सीमेंट कंपनियों की सांठगांठ से रियल इस्टेट कारोबारी से लेकर हर कोई प्रभावित हो रहा है. कौशिक ने कहा कि कंस्ट्रक्शन कंपनियां मकान निर्माण की लागत बढ़ाएंगी, तो मकान सामान्य वर्ग की पहुंच से दूर हो जाएगा.नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि रियल इस्टेट कारोबारी भी जब यह मान रहें कि सीमेंट उद्योग क़तई घाटे में नहीं है और क़ीमतें बढ़ाना बिल्कुल ज़रूरी नहीं है तो फिर यह आशंका बलवती होती है कि प्रदेश कांग्रेस सरकार चुनावी चंदे की भरपाई के लिए सीमेंट के भाव में ग़ैर-ज़रूरी बढ़ोतरी कर सीमेंट कंपनियों को उपकृत करने के लिए तैयार है. कौशिक ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट उद्योग के समक्ष ऐसी कोई प्रतिकूल परिस्थिति नहीं है कि सीमेंट के भाव बढ़ाए जाएं, न तो स्टील-आयरन आदि उद्योगों में कोई तेज़ी आई है और न ही सीमेंट उद्योगों से लाइम स्टोन खदानों में भी कोई अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है तो फिर सीमेंट कंपनियाें के दबाव में आकर प्रदेश सरकार सीमेंट के भाव गुपचुप बढ़ाने के लिए क्यों तैयार हो गई है? क्या सीमेंट की क़ीमतें बढ़ाकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार मुनाफ़ाख़ोर कारोबारियों की कठपुतली बनने को तैयार है? ऐसा करके क्या प्रदेश सरकार प्रदेश के आम लोगों के लिए उनके अपने मकान के सपने का अवसर और अधिकार छीनने का काम नहीं कर रही है?
बीजेपी ने सीमेंट कंपनियों के साथ सांठगांठ का आरोप लगाते हुए सरकार से सफाई मांगी है. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि दाम बढ़ाने के लिए सीमेंट कंपनियों का सरकार पर बड़ा दबाव है. सरकार का इस पूरे मामले में चुप रहना मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है