रायपुर। पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर से सम्बद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी तथा कैंसर सर्जरी विभाग द्वारा पेट की मुख्य नस इन्फेरियर वेनाकेवा (शरीर का सबसे बड़ा शिरा) के ट्युमर लियोमायोसाकोर्मा आॅफ इन्फेरियर की दुर्लभतम सर्जरी करके मरीज की जान बचा ली गई। यह ट्युमर बहुत दुर्लभ किस्म का है जो एक लाख लोगों में से एक को होता है। मेडिकल लिटरेचर में प्रकाशित डाटा के अनुसार इस ट्युमर के अभी तक पूरे विश्व में 213 केस ही देखने को मिले है जिसमें से भारत में अभी तक केवल 12 केस की सर्जरी हुई है तथा इस चिकित्सालय में संपन्न हुई सर्जरी देश में 13वें नम्बर की सर्जरी है। राज्य में यह अपनी तरह का पहला सफल तथा रेयर केस है। दोनों विभाग की इस संयुक्त उपलब्धि पर मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. आभा सिंह तथा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विवेक चौधरी ने सर्जरी को सफल बनाने वाले चिकित्सकों को बधाई दी है।
पहला केस 1871 में रजिस्टर्ड
सबसे पहले यह केस 1871 में देखा गया था। यह ट्युमर 50-60 वर्ष की उम्र के लोगों में मिलता है एवं महिलाओं में ज्यादा होता है। इसके मुख्य लक्षण में पेट में भारीपन, दर्द, पैरो में सूजन एवं वजन में कमी होता है। कभी-कभी जब यह ट्युमर हृदय एवं फेफड़ों में फैल जाता है तो सांस फुलना प्रारंभ हो जाता है।
क्या है इन्फेरियर वेनाकेवा
इन्फेरियर वेनाकेवा जिसे महाशिरा कहा जाता है, शरीर की सबसे बड़ी शिरा है। इसका कार्य शरीर के निचले भागों यानी कि पेट एवं पैरों से अशुद्ध रक्त को हृदय तक पहुंचाना होता है।
किडनी व आंत को भी लिया था चपेट में
आमतौर पर महाशिरा को अपनी चपेट में लेने वाला बहुत से ट्युमर देखे गये हैं जो कि मुख्यत: किडनी का ट्युमर या फिर रिट्रोपेरीटोनियल ट्युमर के कारण होता है लेकिन यह ट्युमर महाशिरा से उत्पन्न होकर दायां किडनी एवं दायां रीनल आर्टरी को चपेट में लिया था एवं छोटी आंत से जाकर चिपका हुआ था। जिसका आकार 11 गुणे 18 सेंटीमीटर एवं वजन 950 ग्राम था। ऐसे में दायां किडनी को बचाना डॉक्टरों के लिये चुनौतीपूर्ण था। सामान्यत: ऐसे केस में दायीं किडनी ट्युमर के साथ निकाल दी जाती है। इस ट्युमर को पता लगाने के लिए सोनोग्राफी, सीटी स्कैन वेनाकैवोग्राफी एवं एमआरआई किया जाता है एवं बायोप्सी से कैंसर होने की पुष्टि की जाती है।
पेट में रहता था तेज दर्द और घट रहा था वजन
कवर्धा निवासी 53 वर्षीय मरीज नंदकुमार चौबे पेट में दर्द, वजन घटने एवं पैरों में सूजन की शिकायत लेकर कैंसर विभाग पहुंचा। जहां पर कैंसर विशेषज्ञ व संचालक क्षेत्रीय कैंसर संस्थान डॉ. विवेक चौधरी ने मरीज की जांच की। उसके बाद कैंसर सर्जरी विभाग के डॉ. आशुतोष गुप्ता एवं डॉ. शांतनु तिवारी ने सोनोग्राफी, सीटी स्कैन एवं एमआरआई की मदद से ट्युमर का पता लगाया एवं बायोप्सी करके कन्फर्म किया। इस आॅपरेशन में सबसे बड़ा चैलेंज था-मुख्य नस को काट कर ट्युमर के साथ अलग करना एवं कटी हुई नस के जगह में कृत्रिम नस लगाना।
टीम में शामिल विशेषज्ञ
डायरेक्टर रीजनल कैंसर सेंटर – डॉ. विवेक चौधरी
कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जन व विभागाध्यक्ष – डॉ. कृष्णकांत साहू
कैंसर सर्जन – डॉ. आशुतोष गुप्ता, डॉ. शांतनु तिवारी, डॉ. गुंजन अग्रवाल
एनेस्थेटिस्ट व क्रिटिकल केयर – डॉ. सोनाली एवं डॉ. ओ. पी. सुंदरानी
रेडियोलॉजिस्ट – डॉ. आनंद जायसवाल व टीम
नर्सिंग स्टॉफ – राजेन्द्र साहू एवं भूपेन्द्र चन्द्रा (टेक्नीशियन)