मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही कलह कांग्रेस के दफ्तर तक पहुंची

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राजस्थान में कांग्रेस हाई कमान के शांति बनाए रखने की एडवायजरी जारी करने का कोई असर नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही कलह एडवायजरी के दूसरे ही दिन कांग्रेस के दफ्तर तक पहुंच गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने दफ्तर में नेताओं के कक्ष में परिवर्तन किया। परिर्तन की गाज गिरी गहलोत समर्थक नेता मुमताज मसीह पर, गहलोत समर्थक नेता के कक्ष से नाम पट्टी हटाकर वे कक्ष पायलट ने वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अपने समर्थक नेता को आंवटित कर दिया। मसीह ने कहा कि चाहे स्थिति कुछ भी वो अपना काम करते रहेंगे। जयपुर में कांग्रेस दफ्तर में सचिन पायलट के कक्ष के पास वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाम से लगी नेम प्लेट के इस कक्ष को लेकर सचिन पायलट और अशोक गहलोत गुट में ठन गई है। दरअसल इस कक्ष के उपर पार्टी के उपाध्यक्ष मुमताज मसीह की नाम पट्टिका लगी थी, मसीह सालों से इसी कक्ष में बैठते आए हैं। शुक्रवार सुबह मसीह दफ्तर पहुंचे तो कक्ष से उनके नाम की पट्टी गायब मिली। मसीह को कहा गया कि ये कमरा अब वरिष्ठ उपाध्यक्ष को आंवटित कर दिया है। मसीह को उपाध्यक्षों के लिए बने कॉमन रूम में बैठने के लिए कहा गया। मसीह अशोक गहलोत के नजीदीकी माने जाते हैं। मसीह ने कहा कि उनकी नाम पट्टी हटाने या कक्ष लेने की सूचना उन्हें नहीं दी गई थी। मसीह ने कहा मैं कहीं भी बैठू, मैं अपना काम करूंगा। दरअसल राजस्थान कांग्रेस में तीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं। लेकिन दो गहलोत सरकार में मंत्री हैं। अब वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल सिंह ईड़वा इस कक्ष में बैठेंगे। ईड़वा सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं। ईडव़ा ने कहना है कि सचिन पायलट ने ये बदलाव इसलिए किया कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए अलग से कक्ष नहीं था। इसका राजनीति से कोई संबध नहीं है।