पहले पढ़ाई में अव्वल आने का तनाव, फिर अच्छी नौकरी पाने का दबाव। इससे एक समय बाद अवसाद की चपेट में आ जाते हैं। आखिर क्या है इसका असली कारण, अवसाद को आज भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। युवाओं को परेशानी में देख उसकी समस्या का असली कारण समझे बिना अभिभावक चिंता ना करने की सलाह तो दे देते हैं, मगर युवा कि चिंता दूर कैसे होगी, यह बात वह भी नहीं बता पाते। दूसरी ओर समाज में जागरूकता का अभाव है और डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति खुद भी डॉक्टर के पास जाने से परहेज करता है। यह स्थिति अवसाद को उस स्तर तक ले जाती है, जहां पीड़ित व्यक्ति खुद अपनी जान लेने के बारे में सोचने लगता है। अवसाद होने का एक प्रमुख कारण हमारे शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी होना भी है। इस विषय में किये गये अनेक शोधों से यह पता चला है कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, वे अधिकतर समय तनाव और उदासी में रहते हैं। कैल्शियम का अवशोषण कर हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करने के साथ विटामिन डी मस्तिष्क की कार्यक्षमता और विकास को बढ़ाने वाले जीन को सक्रिय करता है। शोधों के अनुसार सर्दियों के मौसम में जहां शरीर को विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता, वहीं इसके अभाव में कैल्शियम भी शरीर में अवशोषित नहीं होता। इन दोनों तत्वों की कमी के कारण अवसाद बेकाबू हो जाता है और स्थिति गंभीर। विटामिन डी प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका धूप में कुछ समय गुजारना है। शरीर के बिना ढके भागों से टकराकर सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें विटामिन डी का निर्माण करती हैं। यह विटामिन डी शरीर में संरक्षित हो जाता है और आवश्यकतानुसार शरीर की जरूरतों को पूरा करता रहता है। विटामिन डी का स्तर संतुलित रहने पर शरीर में कैल्शियम की कमी होने की आशंका भी कम हो जाती है। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन के लिए उचित आहार और पोषण बेहद जरूरी है। आयुर्वेद में शरीर के लिए आवश्यक तत्वों की पूर्ति करने के लिए अनेक प्रकार के आहार बताये गये हैं। यदि शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो व्यक्ति दुख, तनाव, निराशा का शिकार होकर परेशान रहने लगता है। ये सब कारण उसे अवसाद का शिकार बना देते हैं। दूध, मक्खन, अंडा, मशरूम, मछली, कॉड लिवर आॅयल, संतरा, गाजर आदि का सेवन करने से शरीर में विटामिन डी का स्तर संतुलित बना रहता है। गेहूं, बाजरा, मूंग, मोठ, चना, राजमा और सोयाबीन जैसे अनाज, अरबी, मूली, मेथी, करेला, टमाटर, ककड़ी, गाजर, ंभिडी, और चुकंदर जैसी सब्जियां, अन्नानास, आम, संतरा और नारियल जैसे फल और दूध व दूध से बने सभी खाद्य पदार्थ कैल्शियम का प्रमुख स्रोत होते हैं।