रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल न केवल अत्यंत सहज व सरल व्यक्तित्व के धनी है, व्हीआईपी कल्चर उनको छू भी नहीं गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के बावजूद इतने सहज हैं कि छत्तीसगढ़ का कोई भी आम नागरिक उनसे उनके मोबाइल पर सीधे संपर्क कर बात कर सकता है और अपनी समस्याओं को बिना किसी संकोच के बता सकता है। मुख्यमंत्री श्री बघेल भी मोबाइल से ही तत्काल जनसमस्या के निराकरण के लिये अधिकारियों को त्वरित निर्देश देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि जनसमस्या का त्वरित निराकरण हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के ऐसे मुख्यमंत्री है, जो जनता से बिल्कुल भी दूरी बनाकर नहीं चलते। सहज रूप से जनसमूह से एकरूप हो जाना उनकी प्रमुख विशेषता है। सोमवार को शंकर नगर स्थित राजीव भवन में पं. जवाहर लाल नेहरू की 55 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर नेहरू का भारत विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता पुरषोत्तम अग्रवाल के व्याख्यान को श्री बघेल ने सामान्य श्रोता की तरह आमजन के बीच में बैठकर सुना। आम जनता के बीच बैठकर सामान्य श्रोता की तरह भाषण सुनना उनके सरल-सहज व्यक्तित्व का परिचायक है। और ये पहली बार नहीं है कि ऐसा हुआ। भूपेश बघेल अपने परिवार और मित्रजनों के साथ भिलाई में होली मिलन समारोह में जमकर होली खेलते हुए रंगों से सराबोर होने के साथ-साथ फाग गीत भी गाये। रायपुर प्रेस क्लब के होली मिलन समारोह में भी मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के साथ होली मनायी और फाग गाया। उनके फाग गाने का अंदाज ऐसा था पत्रकारों ने उनके साथ सुर में सुर मिलाया। उन्होंने लक्ष्मण मस्तुिरया का फाग गाकर लोगों के दिलों को जीत लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने पीएसओ नित्यानंद प्रधान के पिता के दशगात्र कार्यक्रम में बसना ब्लॉक के ग्राम मेदनीपुर पहुँचे और प्रधान के पिताजी के छायाचित्र में पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए अपनी शोक संवेदना प्रकट करते हुए परिवार को ढांढस बंधाया। अपने निजी स्टॉफ के प्रति इतनी गहरी आत्मीयता उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों में कम ही देखने को मिलती है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने सादगी के साथ जनसेवा को अपना मूलमंत्र मानते हुए अपने काफिले में वाहनों की संख्या को कम कराया। उन्होंने आम लोगों की परेशानी को समझते हुए सीएम काफिले के गुजरने के दौरान सड़को पर यातायात को कम से कम प्रभावित करने और किसी भी स्थिति में एम्बुलेंस एवं फायर बिग्रेड को नहीं रोकने के निर्देश दिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री निवास में गृहप्रवेश के लिए उन्होंने कोई विशेष तामझाम नहीं किया और न ही मुख्यमंत्री निवास में विशेष मरम्मत या खर्च कराया गया। चुनाव होने के बाद मंत्रियों के बंगले में जहां करोड़ों रूपए खर्च कर सर्वसुविधायुक्त बनाने में विशेष ध्यान दिया जाता है, वहीं मुख्यमंत्री निवास में केवल जरूरी मरम्मत, रंगरोगन का कार्य किया गया। कुछ कमरों के पर्दे, चादर, तकिया बस बदले गये। मुख्यमंत्री निवास में किसी भी प्रकार का कोई इंटिरियर डेकोरेशन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल का स्पष्ट निर्देश था कि निवास में केवल साफ-सफाई और अतिआवश्यक मरम्मत कार्य ही किया जाए। मरम्मत में किसी प्रकार की फिजूल खर्ची न की जाए। सादगी और जनसेवा का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है। इसी प्रकार स्कूली जीवन में पिटाई करने वाले गुरूजनों ने जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सम्मान किया, तो उन्होंने झुककर अपने गुरूजनों को प्रणाम किया। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मर्रा में पूर्व छात्र सीएम भूपेश बघेल को शाला गौरव सम्मान से नवाजा गया तो मुख्यमंत्री ने अपने शिक्षक पी.एस. देशमुख का चरण स्पर्श कर प्रणाम किया। भारतीय संस्कृति में गुरू की तुलना देवताओं से की गई है। अपनी गुरूजनों के प्रति सम्मान श्री बघेल के संस्कारित व्यक्तित्व का परिचायक है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपना शपथ ग्रहण भी छत्तीसगढ़ी बोली में लेने की इच्छा व्यक्त की थी। विभिन्न अवसरों पर ठेठ छत्तीसगढ़ी में बात करना उनकी अपनी मातृभाषा और छत्तीसगढ़ की संस्कृति और भाषा के प्रति सम्मान की भावना को व्यक्त करता है। छोटा सा पद प्राप्त होते ही सामान्य व्यक्ति आत्ममुग्ध हो जाता है, सुपीरीयरिटी कॉम्पलेक्स का शिकार हो जाता है। व्यवहार बदल जाता है उसका सबके प्रति। पर मुख्यमंत्री श्री बघेल अपनी सहजता और सरलता को अब तक बचाकर रखे हुए हैं।