संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रशंसा, संभावित मौतों की संख्या को कम करने में भारत सरकार की पॉलिसी व मौसम विभाग ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

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Puri: A view of the destruction caused by Cyclone Fani after its landfall, in Puri, Friday, May 3, 2019. (PTI Photo)(PTI5_3_2019_000207A)

संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। चक्रवाती तूफान फानी जितना शक्तिशाली था उससे हाने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती थी लेकिन भारत की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी व यहां के मौसम विभाग की सटीक प्रारंभिक चेतावनी ने इसे बढ़ने नहीं दिया। इस बात के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रशंसा की जा रही है। यूएन आॅफिस के डिजआस्टर रिस्क रिडक्शन के अनुसार, चक्रवाती तूफान फानी से होने वाली मौतों को कम करने में भारत सरकार की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की सटीकता से बड़ी मदद मिली। वही यूएन आॅफिस के डिजआस्टर रिस्क रिडक्शन के प्रवक्ता डेनिस मैक्कलीन ने जेनेवा में कहा- संभावित मौतों की संख्या को कम करने में भारत सरकार की जीरो कैजुअल्टी पॉलिसी व देश के मौसम विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आगे कहा कि मौसम विभाग द्वारा दी गई प्रारंभिक चेतावनी की सटीकता की मदद से लक्षित स्थान को खाली कराने की योजना मददगार साबित हुई। बता दें कि पिछले 20 सालों में भारत से टकराने वाला यह शक्तिशाली तूफान शुक्रवार सुबह ओडिशा से टकराया। इसके कारण 8 लोगों की मौत हो गई। समुद्र किनारे बसा शहर पुरी का बड़ा हिस्सा व अन्य क्षेत्र जलमग्न हो गए। भारतीय मौसम विभाग ने फानी को अत्यंत भयंकर चक्रवाती तूफान कैटेगरी में रखा है। फानी को काफी करीब से मॉनिटर करने वाली यूएन एजेंसियां बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंप में रह रहे परिवारों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रही है जो तूफान के कारण अलर्ट पर हैं। यूएन की चिल्ड्रन एजेंसी ने कहा कि चक्रवाती तूफान फिलहाल भारत को प्रभावित कर रहा है वहीं मार्च व अप्रैल माह में लगातार तूफान से मोजांबिक में हजारों बच्चों की जिंदगियों को क्षति पहुंचाई। उन्होंने कहा- लैंडस्लाइड और डूबने के साथ साथ घातक बीमारियां जैसे मलेरिया, हैजा, कुपोषण आदि का खतरा सबसे अधिक बच्चों को है। न्यूयार्क में अपनी ब्रीफिंग में यूएन के महासचिव एंटोनियो गुतेरस के प्रवक्ता स्टेफनी दुजारिक ने बताया कि कि तूफान फानी के आने से पहले ही यूएन की मानवीय एजेंसियों ने तैयारी के लिए मीटिंग की। इससब में सबसे दुख की बात यह है कि इन प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में ऐसे लोग आते हैं जिनका जलवायु परिवर्तन में काफी कम योगदान है। उन्होंने आगे कहा कि विनाशकारी बाढ़ के बाद मोजांबिक में फैले हैजे को रोकने के लिए यूएन एजेंसी प्रयासरत है।