छत्तीसगढ़ मे बीते पन्द्रह वर्षों से भाजपा की सरकार थी। लगातार सरकार बनने से सत्ता व संगठन के लोग सत्ता के नशे मे सब भूल गए थे। भ्रष्टाचार चरम सीमा मे पहुंच गया था। अफसर साही हावी हो गया था नेताओ को लोगों की तकलीफ सुनने की फुर्सत नहीं थी। लेकिन वक्त से बडा कोई नहीं होता। आज जिला तो छोडो पूरे प्रदेश मे भाजपा पन्द्रह सिटो मे सिमट कर रह गई । इधर कांग्रेस उम्मीद से ज्यादा सीटे लेकर सत्ता मे आ गई। इस करिश्मा का अगर कोई असली हकदार है तो सिर्फ व सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बधेल है। उनके लगातार संघर्ष के व कर्जा माफी के रणनीति के वजह से आज कांग्रेस को इस उंचाई मे लाकर खडा कर दिया। जब मुखिया चुनने की बात आई तो टी एस सिंह देव, ताम्रधज साहू का खुब नाम चला पर कर्म व तकदीर से प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बधेल बन गए। लेकिन अब कुछ लोगों ये मुखिया बने रहे प्रदेश मे इनके नेत्त्रत्व मे ठीक से सरकार चले, नहीं चाहते। आज जो हालत है उसके हिसाब से इनके ही पार्टी के कुछ नेता विधायक व मंत्री नहीं चाहते भ्रष्टाचार कम हो। वे कम समय में भ्रष्टाचार मे लिप्त हो गए है। इन्हें कुछ भी नहीं समझ आ रहा, कौन अधिकारी ठेकेदार जो भाजपा शासन काल मे कांग्रेसीयो को झुठे मामले में फसाया। शासन के महत्वपूर्ण योजनाओं मे गडबड़ी कर शासन को लाखों करोड़ों रूपया का चुना लगाया। ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदार को मोटी रकम लेकर मनमाफिक जगह मे पोस्टग कर जनता को लुटने की खुली छुट दे रखा है। आज जो हालात प्रदेश का है खासकर रायपुर दुर्ग राजनादगांव का बहुत बुरा हाल है। इतने कम समय में सरकार की बदनामी होने लगा इससे ऐसा लगता हैं मानो ये सब करने के पिछे इनके ही पार्टी के कुछ नेताओं का मुख्यमंत्री को बदनाम करने की साजिश है। ताकि उनके जगह लोकसभा के परिणाम अगर ठीक नहीं रहा तो इन अव्यवस्था का हवाला दे हाईकमान इन्हें हटाकर जो तथाकथित नेता मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे है वो पुरा हो सके। अगर वक्त रहते प्रदेश के मुखिया ऐसे लोगों पर लगाम नहीं कसा तो जिस जगह में आज भाजपा खडी है वहां उनकी पार्टी को आने मे देर नहीं लगेगी।