आम आदमी पार्टी ने किया घोषणा पत्र जारी, केजरीवाल बोले- किसी भी पार्टी की केंद्र में नहीं बनेगी पूर्ण सरकार

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2019 के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के लिए अपना घोषणा पत्र बृहस्पतिवार को जारी किया। पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी करने के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर हमला भी बोला। केजरीवाल ने कहा कि इस बार केंद्र में किसी भी पार्टी की पूर्ण सरकार नहीं बनेगी। भाजपा के अलावा हम किसी भी सरकार का समर्थन करेंगे। मोदी-शाह की जोड़ी को सत्ता से बेदखल करने के लिए आप किसी भी पार्टी की सरकार को समर्थन देगी। इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोकसभा चुनाव देश को बचाने का चुनाव है। पाकिस्तान भी यही चाहता है कि भारत के टुकड़े-टुकड़े को जाएं, यही भाजपा कर रही है। पिछले 70 साल से दिल्ली के लोगों को यही टीस है कि उन्हें पूर्ण अधिकार मिले। इसमें दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने का मुद्दा प्रमुख रूप से शामिल है। घोषणा पत्र में रोजगार, उच्च शिक्षा, महिला सुरक्षा समेत कई मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल किया गया है। पार्टी आम चुनाव में दिल्ली के प्रत्येक नागरिक को खुद का घर, दो लाख युवाओं को नौकरी, दिल्ली के कॉलेज में आसानी से दाखिले के लिए 85 फीसद आरक्षण, दिल्ली सरकार के अधीन पुलिस आने पर सुरक्षा की गारंटी, सीलिंग पर रोक समेत अनधिकृत कालोनियों में विकास करने का वादा किया जा रहा है। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से वादा किया है कि अगर पूर्ण राज्य का दर्जा मिला तो एमसीडी दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगी और राष्ट्रीय राजधानी को और स्वच्छ बनाया जाएगा। आप के घोषणा पत्र के अनुसार, पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर एक सप्ताह के अंदर कच्चे कर्मचारी को स्थायी किया जाएगा। इसके साथ ही गेस्ट टीचर को भी स्थायी नौकरी दी जाएगी। आम आदमी पार्टी के घोषणा पत्र में कहा गया है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर जनलोकपाल बिल पास किया जाएगा और भ्रष्टाचार पर पूरी तरह लगाम लगेगी। इसके अलावा दिल्ली के सभी मतदाताओं को सस्ती और आसान किस्तों पर घर दिया जाएगा। दरअसल आम आदमी पार्टी दिल्ली को पूर्व राज्य का दर्जा देने की मांग को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है। पार्टी का कहना है कि जब तक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलता तब तक दिल्ली की शासन व्यवस्था ठीक तरीके से चलाना मुश्किल है। बता दें कि अधिकारों को लेकर अक्सर उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार में ठनी रहती है।