अघोषित बिजली कटौती की शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद पॉवर कंपनी ने शुरू की जांच

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रायपुर। चुनावी मौसम में प्रदेश के कई इलाकों में अघोषित बिजली कटौती की शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद पॉवर कंपनी ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि क्या मैन्युअल ब्रेकिंग तो नहीं की जा रही। कंपनी के चेयरमेन शैलेंद्र कुमार शुक्ला ने दो टूक कह दिया है कि यदि इसमें कोई भी अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में मध्यप्रदेश में बिजली की अघोषित कटौती की शिकायत मिलने के बाद कमलनाथ सरकार ने पूरे मामले की जांच कराई थी। जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई थी। पता चला था कि मैन्युअल तरीके से कई इलाकों में बिजली की अघोषित कटौती की जा रही है। जांच के बाद सरकार ने 217 कर्मचारियों को बर्खास्त और 142 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। छत्तीसगढ़ में भी अघोषित बिजली कटौती सियासी मुद्दा बन गया है। चुनावी रैलियों में बिजली कटौती का मामला जोरशोर से गूंज रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने अपने एक बयान में कहा है कि कांग्रेस सरकार ने बिजली बिल हाफ किए जाने का ऐलान किया था, लेकिन प्रदेश भर में बिजली की आपूर्ति चरमरा गई है। चुनावी रैलियों में जहां भी गया, वहां इसकी शिकायतें सामने आई है। इधर पॉवर कंपनी के चेयरमेन शैलेंद्र कुमार शुक्ला ने बातचीत में कहा है कि मध्यप्रदेश में सामने आई शिकायतों के बाद हम छत्तीसगढ़ में भी जांच करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई बार बिजली गिरने, पेड़ गिरने जैसी दिक्कतों की वजह से ऐहतियातन तकनीकी रूप से बिजली बाधित की जाती है। सर्किट ब्रेक लगाकर बिजली बाधित की जाती है कि कहीं कोई बड़ी घटना न घटित हो जाए, लेकिन इसे रिस्टोर करने में कहीं-कहीं 5 मिनट, तो कहीं 10 से 15 मिनट का वक्त लगता है। इसके अलावा भी यदि कहीं बिजली बाधित हुई है, तो भी यह रिकार्ड में आता है। हम फीडर वाइज जांच करा रहे हैं। साढ़े तीन सौ डीसी हैं। किस फीडर में बिजली कितने देर के लिए गई है, यह भी रिकार्ड में आता है। पिछले एक महीने में बिजली आपूर्ति रोके जाने की जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ हम सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे।