नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि एसिड अटैक असभ्य और हृदयविहीन अपराध है जो कतई क्षमा योग्य नहीं है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब उन्होंने एक 19 वर्षीय लड़की पर 2004 में एसिड फेंकने के दो दोषियों को आदेश दिया कि वे पीड़िता को 1.5-1.5 लाख रुपए का अतिरिक्त हजार्ना अदा करें। इस मामले में दोनों दोषी पांच साल जेल की सजा भुगत चुके हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह पीड़ित लड़की को पीड़िता मुआवजा योजना के तहत मुआवजा प्रदान करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश हिमाचल प्रदेश सरकार की याचिका पर दिया है जिसमें हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के 24 मार्च 2008 के फैसले को चुनौती दी गई थी। दरअसल निचली अदालत ने इस मामले में दोनों आरोपितों को 10-10 साल की कैद और पांच-पांच हजार रुपए जुमार्ने की सजा सुनाई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने सजा घटाकर पांच-पांच साल कर दी थी और जुमार्ने की राशि बढ़ाकर 25-25 हजार रुपए कर दी थी। पीड़िता के मुताबिक, 12 जुलाई, 2004 को जब वह कॉलेज जा रही थी, तभी दोपहिया वाहन पर दो व्यक्ति आए और उस पर एसिड फेंककर भाग गए। इस घटना में वह 16 फीसदी जल गई थी।