300 साल पुराना है यह मंदिर, तभी से ही यहां देवी मां करती आ रही हैं मदिरा पान

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उज्जैन के कालभैरव मंदिर में प्रसाद के तौर पर शराब चढ़ाई जाती है और यह मंदिर इसीलिए देशभर में प्रसिद्ध है। इसी तरह का एक और मंदिर है जहां देवी को प्रसाद के लिए शराब चढ़ाई जाती है। संयोग से यह मंदिर भी मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में स्थित है। रतलाम जिले के सातरुंडा गांव में स्थित मां कवलका मंदिर में भी कालभैरव मंदिर की तरह ही प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। यहां कवलका माता के साथ-साथ काल भैरव, भगवान शिव और मां काली भी विराजमान है। यहां कवलका माता के साथ-साथ काल भैरव और काली मां भी मदिरा पान करती है। यह मंदिर सातरुंडा गांव में स्थित है। यह गांव रतलाम से 32 किमी की दूरी पर है। यहां देवी मां को मां कवलका के नाम से जाना जाता है। यह शक्ति के विश्वप्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां माता भक्तों द्वारा चढ़ाई गयी मदिरा का पान करती है। मान्यता है कि मदिरा पान करने के बाद माता अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। यह देवी मां का एक चमत्कार है जहां मदिरा का प्याला होंठो पर लगते ही प्याला खाली हो जाता है। मंदिर का इतिहास- स्थानीय निवासियों के अनुसार यह मंदिर 300 साल पुराना है और तभी से ही यहां देवी मां मदिरा का पान करती आ रही हैं। यहां बड़ी संख्या में नि:संतान दंपती बच्चे की आस लिए आते हैं। मन्नात पूरी होने के बाद यहां भक्त अपने-अपने तरीके से देवी को धन्यवाद देते हैं। कोई पेट के बल तो कोई नंगे पैर ही इस मंदिर की यात्रा करता है। यहां नवरात्रि और अमावस्या पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।