नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी अब अपने इंटरनल सर्वे पर भरोसा करते हुए कह रही है कि वह दिल्ली की सभी लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी। अब तक जहां पार्टी के नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन पर जोर देते रहे हैं वहीं अब अपने इंटरनल सर्वे के आधार पर उन्हें लग रहा है कि पार्टी के लिए अकेले लड़ना ही फायदेमंद है। पार्टी ने 5 और 6 मार्च को यह सर्वे कराया। इसमें 18 हजार से ज्यादा लोगों से अलग अलग मुद्दों पर राय मांगी गई। पार्टी के इस सर्वे में कहा गया है कि 52 फीसदी लोग लोकसभा चुनाव में आप को वोट देंगे। 36 फीसदी लोगों ने बीजेपी को वोट देने की बात कही और 7 फीसदी ने कांग्रेस को। दिलचस्प यह है कि आप नेता जहां पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार दिख रहे थे वहीं कांग्रेस के गठबंधन के लिए मना करने के बाद उन्होंने फिर लोगों का मन जानने की कोशिश की। आप का कहना है कि इस सर्वे में लोगों से बात करके लगा कि अगर गठबंधन होता तो कांग्रेस अपने हिस्से की सीटें हार जाती और फिर बीजेपी को ही फायदा होता। सर्वे में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा के मसले पर भी लोगों से बात की गई। इसमें जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली उससे आप को लगा कि कांग्रेस से गठबंधन उनके लिए भी नुकसान पहुंचा सकता है। सर्वे में 56 फीसदी लोगों ने यह कहा कि वह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा के मसले पर वोट करेंगे। आप नेता और दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मसले पर आमरण अनशन का भी ऐलान किया था हालांकि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन अटैक के बाद इसे वापस ले लिया गया। आप की तरफ से घर घर जाकर मुख्यमंत्री का संदेश पहुंचाया जा रहा है और दिल्ली में पूर्ण राज्य के मसले को ही गरम रखने की कोशिश हो रही है। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पार्टी के इंटरनल सर्वे को देखते हुए अब हमने तय किया है कि दिल्ली में आप अकेले ही चुनाव लड़ेगी। अब हमारी तरफ से कांग्रेस से गठबंधन की कोई पहल नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हम इस गठबंधन की कोशिश इसलिए कर रहे थे, ताकि बीजेपी को हराया जा सके। लेकिन सर्वे में यह दिख रहा है कि जो सीटें कांग्रेस लड़ती वहां वह हारती। इससे हमारा बीजेपी को हराने का मकसद पूरा नहीं होता। इसलिए अब हम सातों सीटों पर अकेले लड़ेंगे।