छत्तीसगढ़ में गर्भवतियों और बड़े बच्चों को लगेगा डिप्थेरिया का टीका

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रायपुर। टेटनस के टीके की जगह अब गर्भवती महिलाओं और 10-16 साल टके के बच्चों को अब टेटनस-डिप्थेरिया (टीडी) का टीका लगेगा। हालांकि डिप्थेरिया और टेटनस का टीका नियमित टीकाकरन के तहत बच्चों को लगता रहेगा, टेटनस-डिप्थेरिया का टीका गर्भवती महिलाओं और बच्चों (10-16 वर्ष तक) को लगाया जाएगा। अभी टेटनस और डिप्थेरिया पेंटावेलांट वक्सीन का हिस्सा है जो बच्चों तो सरकार द्वारा मुफ्त लगाए जाते हैं। पेंटावेलांट वक्सीन बच्चों को पाँच जानलेवा बीमारियों से बचाता है। डॉ वीणा धवन, असिस्टेंट कमिश्नर (टीकाकरण), स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार जैसे जैसे स्वास्थ केन्द्रों में टेटनेय टाक्साइड (टीटी) का स्टाक खत्म होगा वैसे वैसे टीडी वेक्सीन भेजी जाएगी। यह कार्य इस वर्ष के मध्य में शुरू होगा। डॉ धवन ने बताया नेशनल टेक्निकल आड्व्यसरी ग्रुप आॅन इम्मुनाइजेश ने पहले से ही इस टीके को लगवाने की सलाह दी है। टेक्निकल आड्व्यसरी ग्रुप आॅन इम्मुनाइजेशन भारत सरकार की उच्चतम सलहकार निकाय है जो सरकार को टीकाकरण के बारे में सलाह देती है जिसमें नियमित टीकाकरन में नए टीकों को शामिल करना भी होता है। भारत को मातृ एवं नवजात टेटनस उन्मूलन के लीए 2016 में विश्व स्वास्थ संगठन और यूनिसेफ से प्रशस्ति पत्र दिया गया है। यह बेहतर स्वास्थ सेवाएं, टीकाकरन में बढ़ोतरी, और संस्थागत प्रसव के कारण मुमकिन हो सका है। डिप्थेरिया एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है जो घटक सिद्द हो सकती है हालांकि टीके से इससे बचा जा सकता है। यह एंडोटोक्सिन बैक्टीरिया से होती है और इससे गलघोटू के नाम से भी जाना जाता है। अभी डिप्थेरिया का टीका 4, 10 और 14 हफ्ते में लगाया जाता है। इसका बूस्टर डोज 16-24 महीने में और फिर 5-6 साल में लगता है।
गत वर्षों में गलघोट के मामले बढ़े
लेकिन गत वर्षों में गलघोटू काफी लोगों में पाया गया है और ज्यादातर 5 साल से बड़े बच्चों में जिससे यह पता लगा की बूस्टर डोज की कवरेज ज्यादा नहीं रही है। इसी को ध्यान में रखते हुये सरकार ने यह फैसला किया है की बड़े बच्चों को यह टीका लगवाया जाये ताकि इंका डिप्थेरिया से बचाव किया जा सके। पाँच वर्ष से कम की आयु के बच्चों में गलघोटू कम पाया गया है क्योंकि उनका टीकाकरण का कवरेज बहुत ज्यादा है। इसी तरह गर्भवती महिलाओं में भी टीटी के टीके ही कवरेज बहुत ज्यादा है। छत्तीसगढ़ में 7.5 लाख गर्भवती महिलाओं को और 6.8 लाख बच्चों को हर वर्ष नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत टीका लगता है।