आदिवासी समाज तीर कमान के साथ कला को साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए कदम आगे बढ़ा रही है । आदिवासियों के पहचान जल जंगल जमीन तो है ही अब एक नई क्रांतिकारी लाने के लिए समाज के युवाओं ने कमर कस ली है । आदिवासी समाज एक मंच देकर समाज को गौरवान्वित करने का ऐसा शुभ अवसर आ चुका है । इस क्रांति का आगाज छत्तीसगढ़िया आदिवासी कला मंच छत्तीसगढ़ का गठन करके किया जा चुका है ।
पूरे छत्तीसगढ़ में इस तरह का यह पहला मंच है जहां पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासी कलाकार को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा । इस मंच के माध्यम से गायन नृत्य चित्रकला के अलावा सभी प्रकार के कलाकारों को मंच देने का प्रयास किया जाएगा छत्तीसगढ़िया आदिवासी कला मंच-छत्तीसगढ़ के बैठक का आयोजन भीरालाट (गरियाबंद) में रखा गया था पूजा-अर्चना के बाद मंच के सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा किया गया ।आदिवासी समाज के सभी कलाकार बंधुओं को इस मंच पर जोड़ने के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई और मंच के सदस्यों द्वारा राज्य के सभी आदिवासी कलाकारों से निवेदन किया गया है कि आदिवासी समाज के इस मंच पर जुड़कर समाज को अपनी योगदान दें । इस अवसर पर ईश्वर मंडावी, मनीराम नुरेटी, जितेंद्र नेताम, पूरणमल नेताम, तारकेश मरकाम, कमलेश मांझी, राधेश्याम ध्रुव, मेमन मरकाम, उमेश तिरधारी, प्रताप सिंह मरकाम, भानुप्रताप कुंजाम आदि सदस्य उपस्थित थे ।