निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी, अभी और मिलेगा वक्त

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नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश कुमार की अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। दोषी मुकेश ने डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग की है, मुकेश ने कहा है कि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है, इसलिए डेथ वारंट को रद्द कर दिया जाए। सुनवाई के दौरान दिल्ली एएसजी और दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती है। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका पर फैसला देने के बाद दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होगा। मुकेश की ओर से वरिष्ठ वकील रिबाका जॉन मुकदमा लड़ रही हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी थी। 18 दिसंबर को तिहाड़ जेल अथॉरिटी ने सभी दोषियों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया कि आप चाहें 7 दिन के अंदर दया याचिका दाखिल कर सकते हैं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दो दोषियों की ओर से कहा गया कि उनके केस को सही पैरवी नहीं मिली है, इसलिए इस पर भी गौर किया जाना चाहिए। मुकेश की वकील रिबाका जॉन ने कहा कि 7 जनवरी को ट्रायल कोर्ट की ओर से पारित आदेश अभी तक तामिल नहीं हो सका है। अगर हम 18 दिसंबर के आदेश पर दया याचिका दायर करने के लिए 7 दिन का नोटिस देते तो 25 दिसंबर को यह समाप्त हो जाता, लेकिन एमिकस को दोषी से मिलने की अनुमति 30 तारीख को दी गई और दोषी ने तुरंत बताया कि वह एक क्यूरेटिव फाइल करने का इरादा रखता है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से कागजात मिलने के बाद 2 दिन के अंदर क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई। क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद दया याचिका दायर करने के लिए हमने एक दिन भी इंतजार नहीं किया, मैं राष्ट्रपति से आवेदन पर विचार करने के लिए कह रही हूं। दया याचिका राष्ट्रपति का संवैधानिक कर्तव्य है और यह कोई अनुग्रह का काम नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा, आपकी अपील अप्रैल 2017 में खारिज कर दी गई थी, तब भी आपने ढाई साल तक इंतजार किया। एक समीक्षा याचिका तक दर्ज नहीं की, कोई क्यूरेटिव भी फाइल नहीं किया। आपको ये दाखिल करने से क्या रोका गया? कोर्ट ने कहा कि कोई डेथ वारंट जारी होने तक दया याचिका दायर करने का इंतजार क्यों करेगा। दोषी को कोर्ट जाने के लिए मुकम्मल वक्त दिया गया है।