घर की जिम्मेदारी के साथ गोठान में भी करती है काम
धनलक्ष्मी स्व-सहायता समूह में 10 सदस्य है। महिला होने की वजह से घर के कामों को पूरा करने की इन पर जिम्मेदारी भी है। ये सभी बारी-बारी से अपने घर का काम खत्म कर गांव के गोठान में अपना समय देती है। समूह की अध्यक्ष इंद्राणी साहू है। गोठान में सुबह 7 से 2 बजे तक सफाई कर गोबर को इक्कठा कर पास बने वर्मी बेड में डाल दिया जाता है। केचुआं से तैयार वर्मी कंपोस्ट को छानकर पैकेजिंक कर बेचने के लिए तैयार किया जाता है। यह जैविक खाद हर प्रकार की फसलों के लिए उपयोगी है।
स्टाल लगाई तो शहरवासियों ने सवा क्विंटल एक दिन में खरीद लिया
रायपुर के बीटीआई मैदान में आयोजित 46 वीं जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी में बनचरौदा की महिला समूह द्वारा गोठान में तैयार जैविक खाद की प्रदर्शनी लगाई गयी थी। प्रदर्शनी में जैविक खाद की खूब पूछ परख रही। प्रदर्शनी में सवा क्विंटल खाद शहरवासियों ने खरीदा। कुछ लोगों को खाद की कीमत बहुत कम भी लग रही थी।
गौमूत्र से तैयार औषधि की भी है डिमांड
समूह की महिलाओं द्वारा गोठान के माध्यम से प्राप्त गौमूत्र से अलग-अलग औषधी तैयार कर और बेचकर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा हैै। धान की फसलों को कीट से बचाने गौ-मूत्र मिलाकर बेल पत्ती अर्कपेट में कीड़ा मारने वाली दवा निमास़्त्र धान के पौधों में तना छेदक से बचाने, ब्रम्हास्त्र, अग्नास्त्र, दशपर्णी, अर्कबेल पत्ती, नीम पत्ती, यूरिया पोटाश आदि से नाडेप खाद का विक्रय किया जा रहा है।
वृध्दा से लेकर विधवा महिलाओं को मिला रोजगार
गोठान बन जाने से जहां पशुओं को चारा, पानी और छाया मिला वहीं इस पहल से बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का सुनहरा अवसर मिला। बनचरौदा में 61 साल की वृध्दा बहुरा यादव और विधवा दुलारी साहू भी इस गोठान में काम कर खाद निर्माण करती है। इससे उन्हें अपना जीवनयापन के लिए रूपये मिल जाते हैं।