नई दिल्ली। मुखर्जी नगर में सड़क पर सिख ग्रामीण सेवा चालक सरबजीत व उसके बेटे से मारपीट का मामला तूल पकड़ लिया है। मारपीट के विरोध में सिख समुदाय के बीच काफी रोष है और इसके चलते उन्होंने दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुखर्जी नगर थाने का घेराव किया है। हालांकि, मामले में कार्रवाई करते हुए अधिकारियों ने दो अरक संजय मलिक व देवेंद्र और सिपाही पुष्पेंद्र को निलंबित करने के साथ ही पूरी घटना की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। घटना को लेकर दोनों पक्षों की तरफ से मामले दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने वाहन चालक के खिलाफ घायल पुलिसकर्मियों के बयान के आधार पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया है। इस बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने सोमवार को दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की और रिपोर्ट तलब करते हुए कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। रविवार को ग्रामीण सेवा चालक व उसके पुत्र की पिटाई को लेकर लोगों ने रात भर हंगामा किया। शालीमार बाग के एसीपी केजी त्यागी व अन्य पुलिसकर्मियों पर हमले कर दिए और पुलिस वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई। उग्र भीड़ ने मुखर्जी नगर लाल बत्ती के पास रिग रोड पर जाम लगा दिया। हालात पर काबू पाने के लिए दो वाहनों में पुलिसकर्मी भेजे गए, लेकिन उन्हें देखते ही उग्र भीड़ डंडे लेकर दौड़ पड़ी और पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस कर्मियों को वहां से लौटना पड़ा। गुस्साए लोगों ने डंडे से पुलिस वैन के शीशे भी तोड़ डाले। आखिर मुखर्जी नगर थाने में बैठीं उत्तर पश्चिमी जिले की पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्या को देर रात ही तीन पुलिसकर्मियों के निलंबन का आदेश निकालना पड़ा, जिसकी कॉपी कुछ देर में ही सार्वजनिक भी कर दी गई। सोमवार को मुखर्जी नगर इलाके में स्थिति तनावपूर्ण रही। दिनभर थाने के बाहर लोगों का जमावड़ा रहा। इलाके में पारा मिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई है। इसके जवानों ने शाम को थाने के सामने डटे लोगों को हटा दिया और फ्लैग मार्च भी किया। पुलिस के अनुसार, सरबजीत ने तलवार से पुलिसकर्मी के सिर पर वार कर दिया तो तब उसके साथ ऐसा सुलूक किया गया। लेकिन घटना को लेकर वायरल वीडियो को देखकर पुलिस का तर्क गले नहीं उतर रहा है। वीडियो के अनुसार, चालक ने तलवार निकाला तो वहां मौजूद ईआरवी (जिसे ग्रामीण सेवा चालक सरबजीत ने टक्कर मारी थी) पर तैनात पुलिसकर्मी अन्य पुलिसकर्मियों को बुलाने के लिए थाने के अंदर चले गए।
इस बीच सरबजीत को उसका बेटा खींचकर ले जाकर ग्रामीण सेवा में बैठा देता है। कुछ ही देर में आठ-दस पुलिस कर्मी हाथों में डंडा लिए बाहर आते हैं और ललकराते हुए आगे बढ़ते हैं तो सरबजीत वाहन से बाहर आता है।