मध्यप्रदेश में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर कमलनाथ सरकार ने कमर कस ली है। पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान ने सभी जिÞलों के एसपी को आदेश दिया है कि जिन स्कूल वाहनों में सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है उनके खिलाफ कार्रवाई करें। पिछले साल प्रदेश में स्कूली वाहनों के हादसों में कई बच्चों की जान गई थी। फिर ऐसे हादसे ना हों, बच्चों की जान सलामत रहे, इसलिए सरकार अब सुरक्षा मानकों का पालन कराने पर जोर दे रही है। सीएम कमलनाथ के निर्देश के बाद पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान यानी पीटीआरआई शाखा ने प्रदेश के सभी जिÞलों के पुलिस अधीक्षकों को लैटर भेजा है। इसमें साफ कहा गया है कि बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने वाले वाहनों में बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए। साथ ही इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और गाइड लाइंस का पालन करने के लिए कहा गया है। सभी पुलिस अधीक्षको को निर्देश दिए गए हैं कि वो अपने जिÞले के हर थाने के अंतर्गत स्कूली वाहनों की नियमित जांच करें। क्या है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश- स्कूल बस के आगे-पीछे बड़े और पढ़ने योग्य अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। अगर बस किराए की है तो उस पर आगे-पीछे विद्यालयीन सेवा (आॅन स्कूल ड्यूटी) लिखा जाए। विद्यालय के लिए उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाए जाएं। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था हो। बस की खिड़कियों में आड़ी पट्टियॉ अनिवार्य रूप से फिट होना चाहिए। प्रत्येक बस में अग्नशिमन यंत्र की व्यवस्था हो। बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर अवश्य लिखा हो। बस के दरवाजे पर सुरक्षित सिटकनी लगी हो। वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का कम से कम 5 साल अनुभव हो। वाहन चालक पूर्व में ट्रैफिक नियमों के उल्लघंन का दोषी नहीं ठहराया गया हो। मोटर वाहन नियम 17 के अनुसार प्रत्येक बस में बस चालक के अतिरिक्त एक अन्य योग्य व्यक्ति की व्यवस्था होना चाहिए। बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीट के नीचे जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों को ले जाते समय बस में एक व्यक्ति एस्कॉर्ट और एक शिक्षक की व्यवस्था भी होना चाहिए। पीटीआरआई ने इस बात को भी सुनिश्चित किया है कि वाहनों की चैकिंग के दौरान बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होना चाहिए। साथ ही राज्य शासन को भी लैटर भेजा है कि वो प्रदेश के सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में आवश्यक रूप से निर्देश का पालन कराएं।