अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड आॅयल की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। ब्रेंट क्रूड के दाम 74 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 70 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए है। माना जा रहा है कि अगले 15 दिन में कीमतें और गिर सकती है। ऐसे में घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम फिर से सस्ते हो जाएंगे। दुनिया की बड़ी रिसर्च फर्म बैंक आॅफ अमेरिका का कहना है कि सऊदी अरब की ओर से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने की पूरी संभावना बनी हुई है। इससे कच्चे तेल के दाम 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ सकते हैं। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कच्चा तेल सस्ता होना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए तो फायदेमंद है ही साथ में पेट्रोल-डीजल सस्ता होने से आम लोगों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा। बैंक आॅफ अमेरिका का कहना है कि ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान घटने से कच्चे तेल की डिमांड कम हो सकती है। इसीलिए कीमतों पर दबाव है। साथ ही, अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी ट्रेड वॉर से भी कीमतें गिर रही है। आने वाले दिनों में कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ सकता है। आईओसी की वेबसाइट के मुताबिक, पिछले एक महीने के दौरान पेट्रोल 72 रुपये प्रति लीटर से 73 रुपये प्रति लीटर के बीच रही है। हालांकि, इस दौरान डीजल के दाम 60 पैसे बढ़े है। अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आने पर पेट्रोल-डीजल के दाम 1-2 रुपये तक कम हो सकती है। सस्ते क्रूड से पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट जाती है। साथ ही, देश की महंगाई पर भी सीधा असर होता है। अपनी जरूरतों का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल हम विदेशों से खरीदते हैं। ऐसे में कीमतें गिरने से देश का करंट अकाउंट डेफिसिट घट जाएगा। क्रूड की कीमतें गिरने से भारत का इंपोर्ट बिल उसी रेश्यो में कम होगा। इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, क्रूड की कीमतें अब 10 डॉलर बढ़ती हैं तो करंट अकाउंट डेफिसिट 1000 करोड़ डॉलर बढ़ सकता है। वहीं, इससे इकोनॉमिक ग्रोथ में 0.2 से 0.3 फीसदी तक कमी आती है। ऐसे में मतलब साफ है कि अगर क्रूड सस्ता होगा तो इसका उतना ही फायदा देश को होगा।