देश की आन-बान और सुरक्षा सर्वोपरि, सेना पूरे देश की अमानत – सचिन पायलट

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राजस्थान के उप.मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट से लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कोई सीट नहीं जीत पाई थी। लेकिन कुछ महीने पहले विधानसभा चुनाव जीतने से उनके हौसले बुलंद हैं। पायलट ने कहा – सरकार बनाने के बाद हमने कई अहम फैसले किए हैं। बेरोजगारी भत्ता,किसानों की ऋण माफी और पेंशन में वृद्धि की है। सरकार बनते ही हमने अपने चुनावी वादों को पूरा करने पर काम शुरू कर दिया। लोगों ने इसकी तारीफ की है। सही है, पिछले लोकसभा चुनाव में हम एक भी सीट नहीं जीते थे। मुझे लगता है कि जो पार्टी प्रदेश की सत्ता में होती है, लोग उससे प्रभावित रहते हैं। 2009 के चुनाव में हमने 20 सीटें जीती थीं। दस साल बाद वहीं परिस्थिति आई है। मुझे लगता है कि हम मिशन 25 को पूरा करेंगे। इतिहास गवाह है कि जनता बहुत जल्दी अपनी राय नहीं बदलती। इन तीनों राज्यों में जनता ने कांग्रेस को वोट दिया है। मैं समझता हूं कि देश में परिवर्तन का जो माहौल बना है, उसमें ये तीनों राज्य सबसे आगे रहेंगे। भाजपा की सरकार दिल्ली और जयपुर, दोनों में थी। भाजपा ने स्वच्छ इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया सहित कई नारे दिए थे, इनमें से कितने कामयाब हुए अब चुनाव आ गए तो भाजपा के लोग फौज और सैनिकों की वीरता की आड़ में अपनी नाकामियां छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अदालत को भी टिप्पणी करनी पड़ी। कोई दल कोई नेता फौज को राजनीतिक चर्चा में शामिल नहीं कर सकता। तथ्य कहते हैं कि पिछले 45 वर्षों में इतनी बेरोजगारी नहीं रही, जितनी आज है। नोटबंदी से छोटे कारोबार बंद हो गए। पिछले साढे़ छह दशकों में हम सबने मिलकर जिन संस्थाओं का निर्माण किया था, भाजपा उनको खोखला करने की साजिश रच रही है। सीबीआई सीबीआई पर छापा मार रही है। हमारा संघर्ष सिर्फ कांग्रेस को सत्ता में लाने का नहीं है, बल्कि देश की संस्थाओं को बचाने के लिए है। हम विभिन्न दलों के साथ मिलकर यह काम कर रहे हैं। जब कांग्रेस या कोई अन्य विरोधी पार्टी गठबंधन करती है, तो वह महामिलावट बन जाती है, पर जब भाजपा गठबंधन करती है, तो जिक्र नहीं होता। भाजपा ने पंजाब में अकाली दल, महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन किया। बिहार में तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी के पास सिर्फ दो सांसद थे, उसे 17 सीटें दी हैं। इससे साफ है कि भाजपा कमजोर हुई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में हार के बाद उसके घटक दल अधिक सीटें लेने में कामयाब रहे। इन तीनों राज्यों में जो परिणाम आए, उनको देखकर भाजपा में घबराहट है। इसीलिए इसके नेता जज्बाती मुद्दे उछालकर नाकामियों पर परदा डालने में जुट गए हैं। इस देश में कोई सरकार हो,कोई प्रधानमंत्री रहे, अगर किसी देश ने हमारी सरहद की तरफ देखा, तो उसे वही जवाब मिलेगा, जो उसे मिलना चाहिए। इसमें कोई राजनीति नहीं। देश में सियासी पार्टियां आज हैं, कल नहीं रहेंगी। सरकारें आएंगी, जाएंगी। मगर देश की आन-बान और सुरक्षा सर्वोपरि है। इसमें तो कोई विवाद होना ही नहीं चाहिए। लेकिन इस पूरे प्रकरण का राजनीतिकरण करके सरकार असली मुद्दों को छिपाना चाहती है। जनता पूरी बात समझ रही है। यह चुनाव रोजी-रोटी ,खेत-खलिहान और हर आदमी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर लड़ा जाएगा। मुझे नहीं लगता कि कोई दल इसका सियासी फायदा उठाने में सफल हो सकेगा, क्योंकि सेना पूरे देश की अमानत है।जो भाजपा का विरोध करे, वह राष्ट्र विरोधी हो गया, जो सरकार से सवाल पूछ ले, वह राष्ट्र के खिलाफ है। यह नई परिभाषा किसी की भी समझ से परे है। हम भ्रष्टाचार, किसान,अर्थव्यवस्था और रोजगार के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं। पर वे क्या करते हैं,हनुमानजी की जाति, कौन क्या खा सकता है क्या नहीं, भीड़ तंत्र आदि। पांच साल पहले ये शब्द हमारे राजनीतिक शब्दकोश में नहीं थे। इनका आविष्कार केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद हुआ है। पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने चंद लोगों के साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किए। जब हम मनरेगा लेकर आए, तो इन लोगों ने बहुत मजाक बनाया था। नरेंद्र मोदी ने खुद मजाक उड़ाया था। लेकिन पिछले पांच वर्षों में वह इसे खत्म नहीं कर पाए। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने देश में 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था। अब इनकी सरकार है। हम समझते थे कि किसानों की आमदनी बढेगी। 15 लाख खाते में आएंगे। पर कोई वादा पूरा नहीं हुआ। इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अगर साढे़ तीन लाख करोड़ रुपये चंद उद्योगपतियों के माफ हो सकते हैं, तो बेहतर यह है कि देश के बीस फीसदी सबसे गरीब परिवारों के खाते में प्रतिमाह 6ए000 रुपये जमा किए जाएं। यह योजना गेम चेंजर साबित होगी। लोग एक बेहतर जीवन चाहते हैं। साल 2004 में वाजपेयी सरकार ने शाइनिंग इंडिया का नारा दिया था। तब किसी ने कल्पना नहीं की थी कि यूपीए सत्ता में आएगा। देश की जनता बहुत समझदार है। सोशल मीडिया से एक खास माहौल बनाने की कोशिश हो रही है, पर हकीकत सबके सामने है। लोगों को यह स्वीकार करना पड़ेगा कि पूरे देश में कांग्रेस ही भाजपा को चुनौती दे सकती है। हर क्षेत्रीय दल का अपना महत्व है। हम जगह देना भी चाहते हैं। थोड़ा गिव ऐंड टेक होगा। पर मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल अच्छी संख्या में सीटें जीतेंगे। यूपीए तीन का गठन होगा। 23 मई को देश में नई सरकार का गठन होगा और देश को नया प्रधानमंत्री मिलेगा। पूरे पांच साल भाजपा को मौका मिला है। 30 साल बाद पूर्ण बहुमत वाली पार्टी की सरकार बनी। सहयोगियों का कोई दबाव नहीं था। पर प्रदर्शन क्या रहा किसानों की आत्महत्या कम हुई या अधिक हुई, महंगाई कम हुई या अधिक, जम्मू.कश्मीर में सरकार वक्त पर चुनाव नहीं करा पा रही। 2015 में ही एलान किया गया था कि नगा समझौता हो गया है, पर अभी तक किसी को पता नहीं है कि क्या समझौता हुआ है, सिर्फ भाषण देकर लोगों को गुमराह करने का सिलसिला कब तक चलेगा, चुनाव तो मुद्दों पर ही होते हैं। यह चुनाव ही किसानों और नौजवानों का है। इसमें शिक्षित बेरोजगार और लघु किसान, दो ऐसे मुद्दे हैं, जिनसे निपटने में मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। इनको हम शिद्दत के साथ उठा रहे हैं, ताकि सरकार की जवाबदेही तय हो।