जयपुर – केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के 2009 बैच के अधिकारी पंकज कुमार चौधरी को बर्खास्त कर दिया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें गंभीर दुराचार का दोषी माना है। उसने उनके खिलाफ यह कार्रवाई एक अन्य महिला के साथ पत्नी के रूप में संबंध बनाने और उससे एक बच्चे को पैदा करने के लिए की है। मंत्रालय के आदेश के अनुसार चौधरी ने एआईएस आचरण नियम 1968 के नियम 3 (1) का उल्लंघन किया था। इस नियम के अनुसार सेवा का प्रत्येक सदस्य हर समय कर्तव्य के प्रति पूर्ण निष्ठा और समर्पण बनाए रखेगा और ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेगा जो सेवा के सदस्य के लिए अनुचित हो। आईपीएस अधिकारी की पत्नी द्वारा चौधरी के अन्य महिला के साथ संबंध होने की शिकायत के बाद उनके खिलाफ अप्रैल 2016 में एक जांच शुरू की गई थी। सरकार ने सभी दस्तावेजों और सख्त कार्यवाई की अनुशंसा के साथ प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था। मंत्रालय ने इस पर संघ लोक सेवा आयोग की टिप्पणी मांगी थी। चौधरी को संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श पर सेवा से बर्खास्त किया गया है। आदेश में बताया गया कि अधिकारी ने 4 दिसम्बर 2005 को विवाह किया था और कानूनन अपनी पत्नी से एक मई 2018 को तलाक लिया। इस दौरान वह कानून तौर पर अपनी पत्नी से अलग नहीं हुए थे, लेकिन उन्होंने अन्य महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाये और उस महिला के एक बच्चे के पिता बने। जयपुर के एक अस्पताल में 14 मई 2011 को बच्चे का जन्म हुआ था। चौधरी के गांधी नगर स्थित निवास के गेट पर चस्पा किए गए और उन्हें सुपुर्द किये गए आदेश के अनुसार इस परिस्थिति में यह प्रमाणित होता है कि अधिकारी ने एआईएस आचरण नियम 1968 के नियम 3( 1) का उल्लंघन किया था। इस मामले में जब चौधरी से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा मुझे आदेश मिल गया है और मैं इसे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट में चुनौती दूंगा। 44 वर्षीय चौधरी उत्तर प्रदेश के वाराणसी से हैं। वे दो जिलों जैसलमेर में फरवरी-जुलाई 20130 और बूंदी में जनवरी-सितम्बर 2014 तक पुलिस अधीक्षक के पद पर रहे और दोनों ही जिलों में विवादित रहे। पंकज चौधरी ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस नेता शाले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर की पुनरू हिस्ट्रीशीट खोली थी। शाले मोहम्मद उस दौरान कांग्रेस के विधायक थे। वर्तमान में शाले मोहम्मद अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री हैं। गाजी फकीर की हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद चौधरी का तबादला अजमेर के किशनगढ पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में कर दिया गया था। चौधरी को बाद में बूंदी का पुलिस अधीक्षक बनाया गया था लेकिन साम्प्रदायिक तनाव के बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया और उन्हें समय पर दंगों को काबू नहीं पाने पर चार्जशीट दी गई थी।