समाजिक परंपरा बनी वजह दोबारा विवाह 70 वर्षीय फरसराम नेताम और दुल्हन बनी 65 वर्षीय तिलकाबाई

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गरियाबंद – विवाह के बंधन में बंधे एक जोडें , बुजुर्ग महिला और पुऱुष अक्षय तृतीय के दिन सात फेरे लेकर विवाह बंधन में बंध गए है, दुल्हा बने जाड़ापदर के 70 वर्षीय फरसराम नेताम और दुल्हन बनी 65 वर्षीय तिलकाबाई इस मौके पर काफी खुश नजर आए, इस शादी की सबसे खास बात ये है कि दोनों पहले से पति पत्नि है और नाती पौते वाले है, शादी में परिवार के सभी लोग उपस्थित रहे और सभी की रजामंदी से ही ये शादी संपन्न हुयी है,

समाजिक परंपरा बनी वजह दोबारा विवाह


वैसे तो फरसराम और तिलकाबाई 45 साल से शादीशुदा है और दोनों एक साथ रह रहे है, दोनों के बच्चे और नाती पौते भी है, गांव और समाज के लोग भी उन्हें पति पत्नि ही मानते है, शासकीय रिकार्ड में भी दोनों पति पत्नि है, मगर उस समय उऩ्होंने समाजिक रीति रिवाज से शादी नही की थी, गाडा समाज की“धर्म पानी उतारना” परंपरा के कारण दोनों को शादी करनी पडी, जिसके चलते अक्षय तृतीय के दिन दोनों ने समाज की उपस्थिति में समाजिक रीति रिवाज से शादी की और विवाह बंधन में बंध गए।
गाडा समाज में एक परपंरा है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका बेटा उसकी अंतिम क्रियाओं को संपन्न करता है, लेकिन समाज के समक्ष शादी नही होने पर दंपति से उत्पन्न संतान को समाज क्रियाक्रम करने की अनुमति नही देता है, ऐसी स्थिति में मृत व्यक्ति की अतिम क्रियाएं नही की जाती और उसे ऐसे ही भूला दिया जाता है, समाज में इस परंपरा को धर्म पानी उतारना कहते है।

45 साल पहले तिलकाबाई को किसी कारणवश अपने पहले पति को छोडना पडा, उसके बाद उनकी शादी फरसराम के साथ हो गयी थी, लेकिन समाजिक रीति रीवाज से नही होने के कारण उऩ्होंने अब ये शादी समाजिक रीति रिवाज से की है, उऩ्होंने बताया कि शादी में परिवारिक एंव स्वजातीय बंधु भी उपस्थित रहे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शादी को संपन्न कराया गया।