गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में ऐलान किया कि पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी

0
56

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में ऐलान किया कि पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म के लोगों को इससे डरने की जरूरत नहीं है। राज्यसभा में शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर लोगों को बाहर करने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर किसी का नाम एनआरसी से बाहर कर दिया गया तो उन्हें ट्रिब्यूनल में आवेदन करने का अधिकार है। अगर उनके पास इसके लिए पैसा नहीं है तो असम सरकार इसके लिए वकील मुहैया करवाएगी। बता दें, असम में पहली बार एनआरसी लागू की गई है, जिसमें 19 लाख लोगों को बाहर किया गया है। वहीं अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए मंगलवार को कहा कि असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगे, साथ ही आरोप लगाया कि उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना समाप्त की जा रही है। एनआरसी के धार्मिक स्वतंत्रता निहितार्थ पर एक रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने कहा कि अद्यतन सूची में 19 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई कि किस प्रकार से इस पूरी प्रक्रिया का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। यूएससीआईआरएफ आयुक्त अनुरिमा भार्गव ने इस मुद्दे पर कांग्रेशनल आयोग के समक्ष इस सप्ताह अपनी गवाही में कहा, असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे, उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना समाप्त की जा रही हैं। भार्गव ने कहा, इससे भी बुरा यह है कि भारतीय राजनीतिक अधिकारियों ने असम में मुसलमानों को अलग थलग करने और वहां से बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अपनी मंशा लगातार दोहराई है और अब भारत भर में नेता एनआरसी का दायरा बढ़ा कर सभी मुसलमानों के लिए भिन्न नागरिकता मानक लागू करने पर विचार कर रहे हैं। यूएससीआईआरएफ प्रमुख टोनी पेर्किन्स ने कहा कि अद्यतन एनआरसी और भारत सरकार के इसके बाद के कदम मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने के लिए एक प्रकार से नागरिकता के लिए एक धार्मिक कसौटी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने भारत सरकार से उसके सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की जो संविधान में दर्ज हैं।