मुख्यमंत्री के निर्देश- जिन स्कूलों में मिड डे मील में अंडा दिए जाने को लेकर सहमति नहीं बनेगी, वहां बच्चों को अंडा घर पहुंचाकर दिया जाएगा

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रायपुर- छत्तीसगढ़ में अंडे पर उबलती सियासत के बीच राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण जारी किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बाद जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि जिन स्कूलों में मिड डे मील में अंडा दिए जाने को लेकर सहमति नहीं बनेगी, वहां बच्चों को अंडा घर पहुंचाकर दिया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने राज्य के सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा है कि दो सप्ताह के भीतर शाला विकास समिति और पालकों की बैठक बुलाई जाए, जिसमें ऐसे छात्र-छात्राओं को चिन्हांकित किया जा सके, जो मिड डे मील में अंडा नहीं लेना चाहते। कलेक्टरों को जारी पत्र में यह भी निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों में मिड डे मील तैयार किए जाने के बाद अलग से अंडा उबालने की व्यवस्था की जाए। अंडा खाने वाले बच्चों के लिए मिड डे मील दिए जाने के दौरान अलग से पंक्ति बनाकर बिठाया जाए। निर्देश में कहा गया है कि जिन स्कूलों में अंडे का वितरण किया जाएगा, वहां के शाकाहारी बच्चों के लिए प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ, सुगंधित सोया, सुगंधित दूध, प्रोटीन क्रंच, फोर्टिफाइड बिस्किट, फोर्टिफाइड सोयाबीन, सोया मूंगफल्ली चिकी, सोया पापड़, फोर्टिफाइड दाल जैसे विकल्प रखे जाएं। बता दें कि 15 जनवरी 2019 को राज्य शासन ने स्कूली बच्चों में प्रोटीन और कैलोरी की पूर्ति के लिए मिड डे मील में सप्ताह में दो दिन अंडा, दूध या समतुल्य न्यूट्रिशन दिए जाने का निर्णय़ लिया था। मिड डे मील में अंडा दिए जाने के सरकार के फैसले के बाद कंबीरपंथी समेत कई समाजों ने कड़ा ऐतराज जताया था. राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी किया गया। कंबीरपंथी समाज ने 17 जुलाई को रायपुर- बिलासपुर हाईवे पर चक्काजाम करने की चेतावनी दी है। उधर जैन समाज ने भी अंडा पर विरोध जताते हुए 21 जुलाई को हस्ताक्षर अभियान का ऐलान किया हैं। जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने सोमवार को विधानसभा में अंडा वितरण का मामला शून्यकाल में उठाया था, उन्होंने कहा था कि स्कूली बच्चों को अंडा दिया जाना जरूरी नहीं हैं। वर्ग संघर्ष की स्थिति बनने न दिया जाए। जिद्द से राजनीति नहीं होती, कबीर और गुरु घासीदास की धरती को बचाना चाहिए। सरकार आज अंडा खाने कह रही है कल को बीफ खाने का निर्देश जारी कर देगी। धर्मजीत सिंह ने यह भी कहा था कि चुनाव में जाते हो तो कबीरपंथी समाज के सामने घुटने टेकते हो और अब जब अंडा देने का समाज विरोध कर रहा है, तो आंखें दिखाई जा रही है. इस पर जवाब देते हुए पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा था कि सरकार ने अंडे का विकल्प रखा है, जिन्हें अंडा नहीं खाना है वह लिए दूध की व्यवस्था की गई हैं। बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने भी कहा था कि राज्य में 35 लाख कबीरपंथी निवासरत हैं, इस समाज मे अंडा-मांसाहार प्रतिबंधित है, समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों को सुना जाना चाहिए। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 38 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति के बच्चों में कुपोषण की दर सर्वाधिक 44 फीसदी हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में बच्चों को अंडा दिए जाने की मांग की जाती रही है. राज्य सरकार भी कुपोषण खत्म करने के लिहाज से अंडा वितरित किए जाने के फैसले को वापस नहीं लेना चाहती। भोजन का अधिकार अभियान छत्तीसगढ़, जन स्वास्थ्य अभियान छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच, दलित मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, सर्व आदिवासी समाज बस्तर, आदिम जाति बैगा समाज छत्तीसगढ़, पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज छत्तीसगढ़, भारतीय मजदूर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ कबीरधाम, आदिवासी जन अधिकार मंच छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ संयुक्त नागरिक संघर्ष समिति, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच, कोयतुर युवा समिति कबीरधाम, गांव बचाओ समिति कबीरधाम, बाल अधिकार समिति कबीरधाम, छत्तीसगढ़ वन अधिकार मंच, किशोर संघर्ष मंच, दिव्यांग जन फोरम कबीरधाम, लोकतांत्रिक सांस्कृतिक पहल रेला, शांति सद्भावना मंच छत्तीसगढ़, मनरेगा मजदूर संगठन, दलित आदिवासी संघ महासमुंद, आदिवासी महिला महासंघ जशपुर, गोंडवाना समग्र क्रांति बस्तर संभाग, युवा प्रभाग सर्व आदिवासी समाज, छत्तीसगढ़ बाल अधिकार अभियान रायपुर, जनचेतना रायगढ़, आदिवासी अधिकार समिति कोरिया, पहाड़ी कोरबा महापंचायत सरगुजा, दलित अधिकार अभियान पामगढ़, आदिवासी दलित मजदूर किसान संघर्ष रायगढ़, ग्राम सभा अधिकार मंच बलरामपुर, जागो जन परिषद बिलासपुर, गोंडवाना यूथ फोर्स चारामा, जनसहयोगी मंच कांकेर, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर आंदोलन सरगुजा जैसे संगठनों ने भी मिड डे मील में अंडा दिए जाने के सरकार के फैसले पर अपना समर्थन दिया था।