इंदौर। विधायक आकाश विजयवर्गीय की जमानत की याचिका इंदौर की अदालतों से खारिज हो चुकी हैं। गुरुवार को इंदौर में दिनभर चली कानूनी प्रक्रिया के बाद यह फैसला सामने आया। लोअर कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद विधायक के वकीलों द्वारा सेशन कोर्ट में अपील की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए डीजे कोर्ट ने मामले को एससी-एसटी के विशेष जज बीके द्विवेदी के यहां स्थानांतरित कर दिया था। सुनवाई के दौरान याचिका अधिकारक्षेत्र में नहीं आने के कारण खारिज कर दी गई। इसके पहले पुलिस ने कोर्ट के समक्ष केस डायरी पेश की। वहीं निगम ने सेशन कोर्ट में विधायक के खिलाफ 7 पेज की आपत्ति लगाई। उधर, दोपहर में विधायक के भाई कल्पेश विजयवर्गीय उनसे जेल में मिलने पहुंचे। जेल से बाहर आकर उन्होंने कहा कि भाई बिल्कुल ठीक हैं। वे पूरी तरह से स्वथ्य हैं। विधायक आकाश विजयवर्गीय के रिहाई की मांग को लेकर गुरुवार सुबह से ही जेल के बाहर भाजपा समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा। यहां पर कमलनाथ सरकार, पुलिस और निगम अधिकारियों के खिलाफ समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की। विधायक रमेश मेंदोला और पूर्व विधायक जीतू जिराती आकाश से मिलने जेल पहुंचे। उनसे मिलकर जेल से बाहर आए मेंदोला ने कहा कि यह बस निगम कमिश्नर और कांग्रेस में साठगांठ के कारण हो रहा है। निगमकर्मियों के काम बंद करने पर उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। जेल में सजा काट रहे बंदियों के साथ विधायक को रखा गया। बुधवार को निगम अधिकारी की पिटाई मामले में नगर निगम के 21 मस्टरकर्मियों को निगमायुक्त ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। इनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। इन कर्मचारियों की पहचान विभिन्न वीडियो क्लिपिंग के माध्यम से की गई थी। उक्त सभी कर्मचारी किसी न किसी रूप में मारपीट करने वालों में शामिल पाए गए थे। निगमायुक्त ने कहा कि इस तरह का कृत्य करने वाले कर्मचारियों की निगम को कोई जरूरत नहीं है और भी कर्मचारी अगर इस तरह की हरकतों में लिप्त पाए जाते हैं तो इसकी जांच कर उनकी भी सेवाएं समाप्त की जाएगी। विधायक और निगमकर्मी विवाद को लेकर गुरुवार को महापौर मालिनी गौड ने मीडिया से चर्चा की। भाजपा कार्यालय पहुंची महापौर ने कहा कि आकाश को मुझसे बात करना थी। वहीं, अधिकारियों के नहीं सुनने पर कुछ नहीं बोलीं। आकाश की जमानत पर बार-बार निगम अधिकारियों द्वारा आपत्ति लेने के बाद याचिका खारिज होने के मामले में सीधे जवाब नहीं देते हुए कहा- संगठन जो बोलेगा, उस पर काम करूंगी। मामले में आम आदमी पार्टी गुरुवार को नगम कर्मचारियों के बचाव में उतर आई। आप कार्यकर्ता क्रिकेट किट लेकर निगम कर्मचारियों के पास पहुंचे और उन्हें किट भेंट की। किट देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि विधायक द्वारा बैट से नगर निगम कर्मचारी की पिटाई की गई। उन्होंने कहा है कि जब भी अधिकारी अब इस प्रकार की कार्रवाई के लिए जाएं तो अपने बचाव के लिए क्रिकेट किट का इस्तेमाल जरूर करें। ऐसा करने से वे इस प्रकार की अप्रिय घटना से खुद को बचा पाएंगे। नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख ने मामले में कहा कि घटना बहुत ही निंदनीय है। निगम की कार्रवाई भी कहीं ना कहीं सवालों के घेरे में है। निगम यदि इस प्रकार की कार्रवाई करने जाता है तो वहां के पार्षद, विधायक को इसकी जानकारी देनी चाहिए। जिससे आने वाले दिनों में इस प्रकार की कोई घटना ना घटित हो। महापौर को भी खुद मैदान में उतरकर काम करना चाहिए। यदि महापौर व्यवस्था नहीं संभाल नहीं पा रही हैं तो अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। टावर चौराहे पर पुतला दहन करने पहुंचे कांग्रेसियों का आरोप है कि पिछली बार जब निगम अधिकारियों के साथ हाथापाई हुई थी, तब भी महापौर ने कोई बयान नहीं दिया। इस बार भी वे मूकदर्शक बनी हुई हैं। मौके पर मौजूद पुलिस ने पुतला जलाने से कांग्रेसियों को रोकने का प्रयास भी किया। इस दौरान कार्यकतार्ओं और पुलिस के बीच छीना-झपटी भी हुई। मामले को लेकर सुबह कांग्रेसी राजबाड़ा पर मां अहित्या की प्रतिमा के पास पहुंचे और प्रतिमा को दूध और गंगाजल से धोया। उनका कहना था कि अहिल्या का शुद्धिकरण इसलिए किया गया, क्योंकि इस तरह के कृत्य से इंदौर शहर मैला होता है और मां अहिल्या इंसाफ की देवी थीं। निगम अधिकारी की पिटाई के मामले में गुरुवार को नगर निगमकर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा। निगम कर्मियों ने एक ओर जहां काली पट्टी बंदकर घटना का विरोध किया। वहीं निगम के कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर आधे दिन के हड़ताल पर चले गए। इसके पहले हजारों की संख्या में निगमकर्मी संभागायुक्त कार्यालय पहुंचे और संभागायुक्त को मामले में कड़ी कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन दिया। इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की।