नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में तूफान आया हुआ है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश कर चुके राहुल गांधी किसी भी तरह मानने के लिए तैयार नहीं है।पार्टी नेताओं के आग्रह के बावजूद राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने पर अड़े हैं। मनाने की कोशिश कर रहे नेताओं को उन्होंने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पार्टी को अब नए अध्यक्ष की तलाश कर लेनी चाहिए। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष से मिलने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पहुंचे हैं। राहुल इसके अलावा काफी नाराज भी बताए जा रहे हैं और वह नेताओं से भी कम मिल रहे हैं। सोमवार को तो उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने से इनकार कर दियाए जबकि मुलाकात पहले से तय थी। गहलोत को पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने को कह दिया। हालांकि, गेहलोत अब भी राहुल गांधी से मिलने के लिए इंतजार कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद 25 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होंने बैठक में ही परोक्ष रूप से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका पर असंतोष और रोष जताया था। कहा कि इन नेताओं ने पार्टी की बजाय परिवार पर ज्यादा ध्यान दिया।कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने यह भी संदेश दे दिया था कि पार्टी के नए अध्यक्ष के लिए गांधी परिवार के बाहर के चेहरे के विकल्प पर ही गौर करना होगा। इस तरह अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को अध्यक्ष बनाने की कांग्रेस नेताओं की किसी पहल पर उन्होंने पहले ही ब्रेक लगा दिया था। पार्टी नेताओं की तरफ से सोमवार को वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल ने राहुल गांधी से मुलाकात की। बताया जाता है कि इन दोनों ने राहुल से इस्तीफा वापस लेने की पार्टीजनों की भावना को देखते हुए उनसे अपना इरादा बदलने का आग्रह किया। मगर राहुल ने स्पष्ट कह दिया कि वो अपना इरादा तय कर चुके हैं और पार्टी को नए अध्यक्ष की तलाश करनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस मौजूदा हालत में राहुल का विकल्प तलाशने के लिए अभी तैयार नहीं दिख रही। हालांकि, अहमद पटेल ने ट्वीट कर कहा कि कार्यसमिति की बैठक से पहले ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से प्रशासनिक कामकाज के मसले पर चर्चा के लिए समय मांगा था। सोमवार की मुलाकात इसी संदर्भ में हुई थी। इस बैठक को लेकर जो भी अटकलें लगाई जा रही हैं, वे गलत और आधारहीन हैं। दूसरी ओर, हार की ष्नैतिक जिम्मेदारी के नाम पर नेताओं के इस्तीफे की झड़ी लग गई है। इस क्रम में झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने भी सूबे में पार्टी के दयनीय प्रदर्शन के बाद अपना इस्तीफा हाईकमान को भेज दिया है। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख सुनील जाखड़ ने राज्य में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद गुरदासपुर में अपनी हार के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया है। असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने भी त्यागपत्र नेतृत्व को भेज दिया है। इसके पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर और ओडिशा के पार्टी अध्यक्ष निरंजन पटनायक भी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। दिल्ली की अध्यक्ष शीला दीक्षित भी सौंप चुकी हैं। इस तरह विभिन्न प्रदेशों के 13 नेताओं ने इस्तीफा भेजा है।