प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया कि नोटबंदी की वजह से नौकरियों पर संकट आ खड़ा हुआ है। उन्होंने आंकड़ों सहित स्पष्ट किया कि हमारे कार्यकाल में दरअसल विकास के साथ नौकरियां बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री का मानना है कि गरीब का विकास, मध्यम वर्ग का विश्वास और जनभागीदारी ही सारी समस्याओं का निदान है। कुछ लोग रेवड़ियां बांट जनता को खुश करने का काम करते रहे हैं लेकिन देश की जनता आकांक्षी है, भिखमंगी नहीं। उन्होंने इस संदर्भ में शौचालय निर्माण में जनभागीदारी, बड़ी संख्या में लोगों के रेल टिकट में छूट व गैस सब्सिडी छोड़ने जैसे कदमों का उदाहरण दिया। साथ ही इसे उनके कार्यकाल में हुए विकास का आधार भी बताया। राजनीति से राष्ट्रनीति तक सभी सवालों के उन्होंने बेबाकी से जवाब दिए। चुनाव में नोटबंदी के असर पर कहा कि देश की जनता बहुत समझदार है। यह बड़ी सफलता थी। आज तक कोई इस नासूर को हाथ नहीं लगाना चाहता था। प्रधानमंत्री ने कहा जिस तरह चारों तरफ से लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं, लहर दिखती है। भाजपा पहले से ज्यादा नंबर के साथ आएगी। सहयोगी भी ज्यादा नंबर में आएंगे। पुलवामा ने दुनिया में यह विश्वास पैदा कर दिया है कि भारत जो कहता है, वह सही है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहले केवल रूस हमारे साथ होता था। अब पांच साल में अकेला चीन पाकिस्तान के साथ है और बाकी दुनिया भारत के साथ है। प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा कि सोशल और फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए बिना विकास की गाड़ी नहीं चल सकती है। सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में हमारे देश के गरीब से गरीब व्यक्ति को घर, शिक्षा, आरोग्य, शौचालय उपलब्ध होने चाहिए। वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर विश्वस्तरीय होना चाहिए। अगर यह सब करेंगे तो शॉर्टकट ढूंढ़ने की आदत से बाहर आ जाएंगे। एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, हमने अपनी चीजों को गौरव ही नहीं दिया है। जो लोग देशभक्ति और राष्ट्रवाद की आलोचना करते हैं, वे नहीं जानते कि राष्ट्रवाद के कई स्वरूप हो सकते हैं।