ग्वालियर के सिंधिया राजघराने की बहू प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया को कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाना चाहती है। अब फैसला प्रियदर्शिनी के पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को करना है कि उनकी पत्नी चुनाव लड़ें या नहीं, और लड़ें तो किस संसदीय सीट से। उनके पास दो सीटों का विकल्प है- गुना-शिवपुरी और ग्वालियर। राज्य में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस सत्ता में आई है, लिहाजा पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी बेहतर परिणाम की उम्मीद कर रही है। लिहाजा राज्य की 29 लोकसभा सीटों पर पार्टी ऐसे उम्मीदवार उतारना चाहेगी, जो मुकाबला कड़ा बनाने में सक्षम हों। इसी कारण पार्टी में एक-एक सीट पर मंथन चल रहा है। कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से प्रियदर्शिनी को आगामी लोकसभा चुनाव लड़ाने को कहा है। फिलहाल सिंधिया ने दोनों नेताओं की सलाह पर कोई राय जाहिर नहीं की है। लेकिन, दूसरी ओर गुना में जमीनी स्तर पर सिंधिया ने जमावट चौकस कर रखी है, ताकि प्रियदर्शिनी के चुनाव लड़ने की स्थिति में खुद उन्हें ज्यादा समय न देना पड़े। 100 से ज्यादा जिम्मेदार नेताओं को क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। तीन मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी और महेंद्र सिंह सिसौदिया क्षेत्र में पूरे समय सक्रिय हैं। कांग्रेस ने सिंधिया को महासचिव बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप दी है। सिंधिया की उत्तर प्रदेश में सक्रियता बढ़ी है। दूसरी ओर प्रियदर्शिनी भी गुना संसदीय क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं। पिछले दिनों उन्होंने संसदीय क्षेत्र का दौरा किया और लगभग क्षेत्र के हर हिस्से में वह महिलाओं के बीच पहुंचीं। महिलाओं ने प्रियदर्शिनी से चुनाव लड़ने का भी अनुरोध किया। गुना के कांग्रेस कार्यकर्ता भी पूर्व में सिंधिया की जगह प्रियदर्शिनी को चुनाव लड़ाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में प्रस्ताव पारित कर पार्टी हाईकमान को भी भेजा है। लेंकिन ज्योतिरादित्य ने अभी तक इस बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से वर्तमान में 26 पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। पिछले दिनों विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 230 सीटों में से 114 पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस मानकर चल रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी मुकाबले को कम से कम बराबरी पर लाया जा सकता है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की राजनीति के जानकार, राकेश अचल का कहना है, श्गुना-शिवपुरी और ग्वालियर संसदीय सीटें सिंधिया राजघराने के प्रभाव वाले हैं। यहां कांग्रेस की विचारधारा की नहीं, सिंधिया राजघराने की पकड़ है। चुनाव कोई भी लड़े, सिंधिया राजघराने के प्रतिनिधि को घेर पाना आसान नहीं है। ग्वालियर में भी महल के समर्थन से ही जीत मिलती है। ऐसे में कांग्रेस ज्योतिरादित्य और उनकी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार सकती है। अचल आगे कहते हैं, लेकिन अब तक राजघराने में पति-पत्नी ने एक साथ चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में यह हो सकता है कि कांग्रेस अपनी रणनीति के तहत ग्वालियर में सिंधिया का नाम उछालकर माहौल बनाए और अंतिम क्षण में सिंधिया ग्वालियर नहीं गुना से ही चुनाव लड़ें। लेकिन भाजपा सिंधिया को गुना में घेरने की कोशिश में है। वहां से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की बात चल रही है। दरअसल, भाजपा उत्तर प्रदेश में सिंधिया की सक्रियता रोकना चाहती है। इस स्थिति में सिंधिया के लिए गुना से ज्यादा सुरक्षित ग्वालियर होगा। फिर प्रियदर्शिनी गुना से उम्मीदवार हो सकती हैं। गुना संसदीय क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से पांच पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा का कब्जा है। दूसरी ओर ग्वालियर की आठ विधानसभा सीटों में से सात कांग्रेस के पास है।