गरियाबंद जिला प्रशासन के नाक के नीचे वन विभाग की भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी पुल एक दिन की पानी में आवागमन बाधित ग्राम पंचायत डोगरी गांव के आश्रित ग्राम केशोडार

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गरियाबंद- जिला प्रशासन के नजदीक महज एक किलोमीटर दूर ग्राम केशोडार अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रही है । अधिकारी आये गये किन्तु कभी भी ग्राम केशोडार सुविधाओं से वंचित 90 प्रतिशत कमार आदिवासी, निवास करते हैं। जिला बनने के बाद भी आज तक रोड की स्थिति में सुधार नहीं है जहाँ भी फारेस्ट विभाग के दायरे जो गांव आते हैं कभी विकास नहीं


होती । जिला मुख्यालय के समीप होने पर ही गांव में मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रहे हैं कमार आदिवासी समुदाय के लोग अपनी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। आये दिन फारेस्ट विभागो द्वारा परेशानीयो का सामना करना पड़ता है। कई ऐसे मामलों में ग्रामीण परेशान हैं। एक रात की पानी में वन विभाग की द्वारा बनाई गई पुल के आसपास भ्रष्टाचार की कारनामा सामने आ ही गई। पुल बनने से पहले कई बार जानकारी दी गई थी। पुल छोटा है , गुणवत्ता हीन , बनाया जा रहा है। आवगमन पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। फोन पर जानकारी लेने पर कहा गया फारेस्ट विभाग खुद इंजीनियरिंग ठेकेदार है। फारेस्ट विभाग के रेंजर, sdo अपने कार्य के प्रति लापरवाही फॉरेस्ट बिभाग अपने कार्यों से भटक गये। ठेकेदारी कार्य मे डियूटी दिया जा रहा है । निर्माण कार्य में फारेस्ट विभाग लगी हुई है , जंगल भगवान भरोसे चल रहा है , वर्षा ऋतु अभी शुरू होने से पहले मिट्टी पूरी तरह से बह गया। फारेस्ट विभाग टेंडर प्रक्रिया केवल दिखावा ।विभाग निर्माण एजेंसी बन कर रह गई। पुल में किया गया कार्य गुणवत्ता हीन हैं। परन्तु जिम्मेदार

अधिकारियों कान में रुई डाल कर बैठे हैं। 6.33 लाख तैयतीस हजार की पुल हैं सबसे बड़ी बात यह है कि पुल बिना छड़ के बने हैं छड़ केवल सेलेप में है । पुल गुणवत्ता हीन से तैयार किया गया । ग्रामीणों द्वारा जानकारी में बताया गया है कि सीमेंट गिट्टी का भी मिश्रण ठीक नही किया गया है। किया गया कार्य भ्रष्टाचार की भेट चढ़ी उसकी खामयाजा आज आम जनता को चुका रही है। जिम्मेदार अधिकारी मौन धारण किये हुये है