सोनिया गांधी को लिखा गया पत्र 5 पन्नों में भ्रष्टाचार का सूत्रधार कौन

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रायपुर । छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में भ्रष्टाचार को लेकर हाल फिलहाल में दो से तीन बार मामला उठ चुका है। सियासी हुक्मदारों के बीच खींचतान अभी भी कम नहीं हुई है लेकिन वास्तव में इस भ्रष्टाचार का सूत्रधार कौन रहा है इसे लेकर मामला स्पष्ट नहीं हो पाया है।

ऐसे में धरसीवा से कांग्रेस विधायक श्रीमती अनीता शर्मा जी पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को 5 पन्नों का एक खत प्रेषित किया है। यह महज खत नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार का एक ऐसा पुलिंदा है जिसकी सच्चाई से प्रदेश की जनता और आला नेता भी महरुम हैं।

कुछ लोगों को इसकी सच्चाई का पता जरूर है लेकिन सियासी हुक्मदारों के ख़ौफ़ की वजह से उनके जुबान पर ताला लगा हुआ है जिसकी वजह से मामला जो 100 करोड से भी ज्यादा का है खुलकर सही तरीके से सामने नहीं आ पाया है।

विधायक अनीता शर्मा ने अपने 5 पन्नों के खत में बेहद स्पष्ट रूप से सोनिया गांधी के समक्ष खुलासा किया है कि छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम में करोड़ों के भ्रष्टाचार का यदि कोई सूत्रधार है तो वह तत्कालीन महाप्रबंधक डॉ अशोक चतुर्वेदी हैं।

विधायक ने खत में लिखा है कि साल 2015 से 2019 के बीच कैसे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन महाप्रबंधक डॉक्टर चतुर्वेदी ने कागज खरीदी से लेकर विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों रुपए का गबन कर दिया।

विधायक अनीता शर्मा ने इस पूरे मामले को लेकर पूर्व विधायक देवजी भाई पटेल पर भी डॉक्टर चतुर्वेदी को संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने डॉक्टर चतुर्वेदी के नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाया है जिसमें उन्होंने तर्क दिया है कि डॉक्टर चतुर्वेदी द्वितीय श्रेणी के अधिकारी थे जबकि महाप्रबंधक जैसे पद के लिए प्रथम श्रेणी के अधिकारी का होना अनिवार्य है।

विधायक अनीता शर्मा ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी ने अपनी प्रतिनियुक्ति के दौरान पाठ्य पुस्तक निगम मैं जिस तरह से अनियमितताओं की धारा भाई है उसका सिरे से जांच कराया जाना बेहद जरूरी है।

विधायक अनीता शर्मा ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि पूर्व में बढ़ती गई आर्थिक अनियमितता की वजह से वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस की भूपेश सरकार जिस पर प्रदेश की जनता ने विश्वास व्यक्त किया है उनकी छवि भी धूमिल हो सकती है लिहाजा इस मामले में बेहद गंभीरता और सूक्ष्मता से जांच कराए जाने की आवश्यकता है।