लुधियाना । ये हैं तान्या उम्र है महज 16 साल लेकिन, इतनी छोटी सी उम्र में ही तान्या जैन धर्म में रच-बस चुकी हैं। वह तब मात्र 5 वर्ष की थी जब उन्होंने वैराग्य धारण करने की सोची। राजपूत परिवार से संबंध रखने वाली तान्या ने वर्ष 2005 में धर्म व साधना का मार्ग चुना। बड़ी बहन मुस्कान उर्फ प्रतिष्ठा भी वैराग्य का जीवन धारण कर चुकी है। बहन के वैराग्य को देखते हुए तान्या भी वैराग्य की ओर अग्रसर हुई। तीन बहनों में मंझली 16 वर्षीय तान्या ने 5 वर्ष की आयु से जैन साध्वीगणों के साथ रहकर दीक्षा ले रही है। दीक्षा उत्सव 10 फरवरी को रायकोट स्थित एसएस जैन स्थानक नजदीक समाधि स्थल पर धूमधाम से मनाया जाएगा। अमरीक सिंह की पुत्री तान्या जैन 2005 जब पहली कक्षा में थी तब वह जैन साध्वीगणों के संपर्क में आई। तान्या की बड़ी बहन मुस्कान उस समय तीसरी कक्षा की छात्रा थी। मुस्कान लुधियाना के ऊधम सिंह नगर निवासी जिनेंद्र जैन, अनिता जैन के निवास पर साध्वीगणों से मिली। मुस्कान व तान्या की धर्म के प्रति आस्था देखकर साध्वीगण उन्हें अपने साथ रायकोट जैन स्थानक लेकर आ गई। वहीं इन दोनों की शिक्षा दीक्षा भी हुई। मुस्कान ने आठवीं तक शिक्षा ग्रहण कि जबकि तान्या पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की दसवीं की छात्रा है। अमरीक सिंह की बड़ी बेटी मुस्कान ने साध्वीगणों के संपर्क में रहकर 1 फरवरी 2015 को महासाध्वी श्वेता म. की शिष्या के रूप में जैन दीक्षा ग्रहण की। मुस्कान के पद्चिन्हों पर चलकर तान्या ने भी सांसारिक सुखों को त्यागकर धर्म का मार्ग अपनाते हुए गुुरुणी सुमन की शिष्या के रूप में दीक्षा ग्रहण करने का फैसला किया है। तान्या की केसर रस्म 27 जनवरी को रायकोट में हो चुकी है। अब मेहंदी की रस्म 9 फरवरी व 10 को दीक्षा उत्सव की रस्म होगी। तान्या का कहना है, मैंने दुनिया को देखा है इसकी रंगीनियों को देखा है। मुक्ति पथ को पाने का एकमात्र संयम ही सहारा है। जब मैं वर्ष 2006-07 में गुरुजनों के सानिध्य में आई तब जाकर असली सुख व शांति की अनुभूति हुई। मुझे चकाचौंध भरी जिंदगी नहीं, अपने साधनों में जीना है। दीक्षा लेने जा रही तान्या को शास्त्रों के अलावा प्रतिक्रमण, कर्मग्रंथ, नवतत्व, 65 बोल, भक्तमाल स्त्रोत सुखविपाक, गुणस्था आदि का अध्ययन कर चुकी हैं। पिता अमरीक सिंह का कहना है कि पहले थोड़ा सा अजीब लगा था, लेकिन बेटियों की धर्म के प्रति आस्था व लगन देखकर अपने दिल पर पत्थर रखकर अच्छा कार्यो के लिए जैन साध्वीगणों के पास भेजा। आज हमें सुकून व गर्व है कि हमारी दोनों बेटियां धर्म का मार्ग अपनाकर दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं। जिनेंद्र जैन व उनकी धर्मपत्नी अनीता जैन का कहना है कि महासाध्वी ओम प्रभा महाराज वर्ष 2005 में हमारे निवास उधम सिंह नगर में ठहरे हुए थे। वहां मुस्कान व तान्या के माता-पिता ने उन्हें यहां छोड़ दिया, इसके बाद दोनों धर्म मार्ग पर चल पड़ी।