रांची विश्वविद्यालय के 32वें दीक्षांत समारोह में पूर्व की भांति एक बार फिर बेटियों का दबदबा कायम हुआ। इसमें सत्र 2017 और 2018 के जेनरल, वोकेशनल और प्रोफेशनल कोर्स के टॉपरों के लिए 106 गोल्ड मेडल बंटे, जिनमें 72 पर बेटियों ने कब्जा जमाया। शुक्रवार को मोहराबादी स्थित दीक्षांत मंडप में आयोजित इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू मौजूद थीं। इसमें दोनों सत्रों के 5000 से अधिक विद्यार्थियों के बीच डिग्रियां बंटीं। वहीं,रांची विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पीएचडी की मानद उपाधि दी गई। यह उपाधि प्रजापिता ब्रह्म कुमारीज ईश्वरी विश्वविद्यालय, माउंटआबू राजस्थान के कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय को दी गई। समारोह की शुरूआत अकादमिक शोभायात्रा से शुरू हुई, जिसमें राज्यपाल, कुलपति, प्रतिकुलपति समेत विश्वविद्यालय के पदाधिकारी भारतीय परिधान के साथ साफा पहनकर शामिल हुए। पहली बार रांची विश्वविद्यालय में भारतीय परिधान को ड्रेसकोड बनाया गया। टॉपरों और डिग्री प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों के अलावा सीनेट, सिंडिकेट, एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य और विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी भारतीय परिधान वाले ड्रेसकोड में थे।
समारोह में सत्र 2017 और सत्र 2018 के लिए के लिए पीएचडी की, 291, एमफिल की 253, एमसीए की 120, एमबीए की 539, स्नातकोत्तर की. 4949, स्नातक की. 43569,वोकेशनल की. 266, एलएलबी की. 329, एमबीबीएस की. 148ए बीटेक की. 1147, बीएड की. 4329 और प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों के लिए. 3411 डिग्रियां प्रदान की गईं। मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि दीक्षांत समारोह डिग्री प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों के लिए अविस्मरणीय क्षण है। उन्होंने झारखंड के संदर्भ में कला-संस्कृति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि विकास एकांगी न हो, एकपक्षीय न हो। सिर्फ भौतिक विकास पर्याप्त नहीं है। जरूरत है आत्मिकए मानसिक, नैतिक और आध्यामिक विकास की। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षित युवा सरकार की आंख, मस्तिष्क बनें और दिशा,-निर्देशक की भूमिका निभाएं। कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने दीक्षांत समारोह का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सफलता का बुनियादी सूत्र अपनी क्षमता के अनुसार लक्ष्य का निर्धारण करना है। उन्होंने युवाओं से देश का प्रहरी बनने की अपील की। कार्यक्रम में प्रति कुलपति डॉ कामिनी कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ पीके वर्मा, रजिस्ट्रार डॉ एके चौधरी, सीसीडीसी डॉ गिरजा शंकर नाथ शाहदेव, लोक गायक मुकुंद नायक, पूर्व कुलपति डॉ एलएन भगत, डॉ एसपी सिंह, सभी डीन, सभी विभागाध्यक्ष कॉलेजों को प्राचार्य आदि मौजूद थे