सर्टिफिकेट पाने के लिए कई फिल्में अक्सर सेंसर बोर्ड के वर्षों चक्कर लगाती हैं। हाल में आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान की फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट हासिल करने में आठ महीने लगे थे। अब दिवंगत ओम पुरी की आखिरी फिल्म को सेंसर बोर्ड से तीन सालों की जद्दोजहद के बाद राहत मिली है। इसके लिए मेकर्स को सेंसर की ट्रिब्यूनल बॉडी तक जाना पड़ा। वहां से फिल्म को ए सर्टिफिकेट जारी हुआ। मगर इसके लिए भी मेकर्स को तीन साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। फिल्म के डायरेक्टर रंजीत गुप्ता बताते हैं, दरअसल सेंसर के ट्रिब्यूनल हेड ओम पुरी जी के बड़े फैन निकले। उन्होंने ही सजेस्ट किया कि क्यों न इस फिल्म का टाइटल रामभजन जिंदाबाद से बदलकर ओमप्रकाश जिंदाबाद कर दिया जाए। हमें भी उनका सुझाव पसंद आया। अब फिल्म इसी नाम से रिलीज होगी। इस बाबत एक कॉरपोरेट स्टूडियो के साथ हमारी बात चल रही है। हम जल्द रिलीज डेट अनाउंस करने वाले हैं। यह फिल्म बेसिकली यूपी में निचले तबके की रेप विक्टिम को सरकार की तरफ से मिलने वाले कंपनसेशन की बंदरबांट पर एक सटायरिकल टेक है। ओम पुरी इसमें छुटभइए नेता के रोल में नजर आएंगे, जो सरकार की तरफ से आने वाली कंपनसेशन के करोड़ों की रकम हड़पने के रैकेट में शामिल हैं। वह रैकेट कैसे रेप के फर्जी विक्टिमों को सामने लाकर सरकारी पैसों की लूटमार करता है, फिल्म इसी बारे में है। इस फिल्म में बड़े अरसे बाद अपने जमाने के मशहूर कॉमेडियन जगदीप भी नजर आएंगे। शोले में सूरमा भोपाली का कैरेक्टर प्ले कर चुके जगदीप इसमें नेगेटिव रोल में हैं। वो रेपिस्ट के किरदार में नजर आएंगे। दिलचस्प बात यह है कि फिल्म का टाइटल बदल गया है। पहले इसका नाम रामभजन जिंदाबाद था। अब यह ओम पुरी को ट्रिब्यूट देते हुए ओमप्रकाश जिंदाबाद नाम से रिलीज होगी।