वैज्ञानिक आधार पर होगा नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी का विकास

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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि प्रदेश में नरवा, गरूवा, घुरूवा और बारी के संरक्षण और संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्य वैज्ञानिक सोच के आधार पर तैयार किए गए हंै, इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास होगा और पर्यावरण का नुकसान भी नहीं होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्य़ालय परिसर स्थित आॅडिटोरियम में 17 वीं छत्तीसगढ़ युवा वैज्ञानिक कांग्रेस के शुभारम्भ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष ने चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट नागार्जून जैसे महान वैज्ञनिक दिए हंै। देश में विज्ञान-वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने का कार्य देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रारंभ किया गया। जिनके प्रयास से परमाणु अनुसंधान केन्द्र, एम्स, अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र की स्थापना सहित अन्य वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला, जिसके कारण आज भारत देश 104 सेटेलाईट छोड़ने की क्षमता रखता है। इसी प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने हरित क्रांति और श्वेत क्रांति का आगाज किया, जिससे देश की गरीबी, भुखमरी को दूर करने का प्रयास किया गया। इसी प्रकार 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के द्वारा देश में कम्प्यूटर और संचार क्रांति का सूत्रपात किया गया। जिसका प्रतिफल हमें वर्तमान में आधुनिक संसाधनों के रूप में मिल रहा है। वैज्ञानिक सोच की कमी, अंधविश्वास तथा बजट में अनुसंधान के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण वैज्ञानिक अनुसंधान में हम विकासशील देशों से पिछड़ गए हंै। हमें अपनी सोच में परिवर्तन लाने की जरूरत है सवाल पूछने की परंपरा को कायम रखना है ताकि सोचने-समझने की क्षमता का विकास हो सके। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि किसी भी प्रदेश का विकास संसाधनों की उपलब्धता तथा उनके बेहतर उपयोग पर निर्भर करता है। लेकिन संसाधनों का उचित व सुनियोजित उपयोग की क्षमता की कमी से विकास में हम पीछे रह जाते हैं, इस कमी को दूर करने के लिए वैज्ञानिक शोध जरूरी है। शोध कार्यांे को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक कांग्रेस जैसे आयोजन होते रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में 17 वां युवा वैज्ञानिक कांग्रेस की स्मारिका का विमोचन किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्वांजलि दी। इस अवसर पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपित प्रो. के.एल. वर्मा रजिस्ट्रार प्रो. गिरीश कांत पाण्डे़य, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. कलौल क.े घोष, समन्वयक डॉ. मानस कांतिदेब सहित रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
19 विधाओं में प्रदेश के शोधार्थियों से आमंत्रित किए गए शोधपत्र
छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. के.सुब्रमणियम ने बताया कि यह वैज्ञानिक कांग्रेस प्रदेश के युवा वैज्ञानिको को निखारने के लिए आयोजित की गई है। जिसमें विज्ञान की 19 विधाओं में प्रदेश के शोधार्थियों से शोधपत्र आमंत्रित किए गए हंै। जिसमें 155 शोधपत्रों का चयन किया गया। देश की विभिन्न संस्थाओं से पधारे 55 विषय विशेषज्ञों के द्वारा शोधर्थियों के शोधपत्र का मूल्यांकन किया जाएगा। सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी को पुरस्कार स्वरूप 21 हजार रूपय का पुरस्कार दिया जाएगा तथा उन्हें दो माह के लिए देश की प्रतिष्ठित संस्था में अनुसंधान हेतु भेजा जाएगा। जिसका समस्त खर्च छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद द्वारा वहन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक शोध के लिए 5 लाख स्कॉलरशीप रखी गई है।