अवैध अस्पताल सील होने के बाद भी लोगो के साथ कर रहे जान से खिलवाड़

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फिंगेश्वर। शहर के बीचों बीच संचालित अवैध अस्पताल को सीज करने के बाद अब प्रशासन खुलेआम घूम रहे चिकित्सक पर भी कार्यवाही की तैयारी में है। फिंगेश्वर से पहुँचे मीडिया कर्मियों पत्रकार ने कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर से उक्त सम्बंध में चर्चा करते हुए बताया कि प्रशासन ने गत दिनों फिंगेश्वर के ॐ साँई अस्पताल में दबिश देकर अस्पताल को सीज किया है। अस्पताल सीज होने के बाद भी चिकित्सक के द्वारा आज भी मरीज़ो का इलाज़ किया जा रहा है। उक्त चिकित्सक नर्सिंग होम एक्ट अधिनियम का खुलेआम उलंघन कर मरीज़ो के जान के साथ खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। मीडिया से इस सबंध चर्चा करते हुए कलेक्टर नीलेश कुमार क्षीरसागर ने स्पष्ट कहा है कि बगैर डिग्रीधारी चिकित्सक के द्वारा अस्पताल संचालन किया जाना अपराध की श्रेणी में आता है,दोषी चिकित्सक पर तत्काल करेंगे। कलेक्टर क्षीरसागर ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एनआर नवरत्न को फिंगेश्वर के अवैध अस्पताल संचालक पर कार्यवाही के निर्देश दिए है।


कलेक्टर के निर्देश के बाद अब फिंगेश्वर क्षेत्र के लोगो में उम्मीद जगा है कि आम जनता के जान से खिलवाड़ करने वाले चिकित्सक हरीश हरित पर कार्यवाही होगी। उल्लेखनीय है की ओम साईं अस्पताल पर विगत 21 मई को गरियाबंद जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने राजस्व अधिकारी एसडीएम तहसीलदार नायब तहसीलदार एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम में अस्पताल के अवैध संचालन को लेकर छापामार कार्यवाही की और अस्पताल को सीलबंद किया इस संबंध में की गई कार्यवाही के 15 दिवस होने के बाद भी अस्पताल के संचालके हरीश हरीत पर बिना किसी वैध कागजात रजिस्ट्रेशन एवं संचालन को लेकर विभाग की ओर से जवाब मांगे गए किंतु इतने दिनों तक
पूर्ण कार्यवाही लंबित है। जिसे लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही। सवाल यह भी है आखिर इतने बड़े कार्यवाही के बाद विभाग अब शांत कैसे पड़ गए। गरियाबंद जिले अन्य निजी चिकित्सकों पर तो त्वरित कार्यवाही की जाती है किंतु फिंगेश्वर के वर्षों से चल रहे उक्त अस्पताल को लेकर विभाग की तरफ से निष्क्रियता समझ से बाहर है संबंधित ओम साँई अस्पताल संचालक द्वारा सोशल मीडिया में स्वयं ही वीडियो जारी कर इस बात को स्वीकार किया है कि मेरे द्वारा संचालित अस्पताल का रजिस्ट्रेशन कुछ वर्षों से नहीं हो पाया है ऐसे में कानून की भाषा में ऐसे संचालकों पर भारतीय दंड विधान की धारा एवं इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है क्योंकि लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ ना हो इस बात को प्रशासन स्वयं गंभीरता से लेकर ही छापेमार कार्यवाही की है अस्पताल में छापा मारने आई टीम ने मौके पर अस्पताल में 6 मरीजों को एडमिट पाया अधिक मात्रा में दवाइयां सामग्री प्राप्त की संस्था द्वारा संचालित एंबुलेंस एवं ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध पाए गए अन्य प्रकार की गतिविधियां जो कि बिना प्रशासनिक अधिकार्य दस्तावेज के होनी चाहिए वह मौके पर नहीं मिले। अस्पताल संचालक ने स्वयं अपने दस्तावेज पेश नहीं किए ऐसी असामान्य स्थिति में टीम ने पंचनामा कर अस्पताल को तो सील कर दिया।