रायपुर। 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी, फिल्म और टेलीविजन ही नहीं मूलत: रंगमंच से जुड़ी अदाकारा हिमानी शिवपुरी, कुमार प्रशांत वरिष्ठ पत्रकार एवं गांधी विचारक, ध्रुव शुक्ल वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार शुक्रवार दोपहर रायपुर प्रेस क्लब, मोतीबाग में पत्रकारों से रूबरू हुए। हिमानी शिवपुरी ने कहा कि जहां तीजनबाई जैसी कलाकार है, वह भूमि वाकई में अद्भुत है। हबीब तनवीर को उन्होंने अपने गुरू जैसा बताया। उन्होंने कहा कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ट्रेनिंग के बाद सीधा रंगमंच से जुड़ाव हुआ। मुंबई में फिल्म करने के दौरान हबीब साहब के साथ एक नाटक में काम करने का मौका मिला। उनके साथ काम करने का अनुभव अच्छा रहा।ध्रुव शुक्ल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति से उनका परिचय बहुत पुराना है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से जुड़ाव रहा है। छत्तीसगढ़ी करुणा का प्रदेश है। यहां के संगीत में, यहां के गायक और उनके संगीत में करूणा है। हबीब तनवीर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा नाटक लिखा जिसकी स्क्रिप्ट नहीं होती थी। वह इमर्ज रहा करता था। लोकतंत्र का ऐसा स्वभाव है कि उसे इमर्ज होना चाहिए, कोई पहले से उसकी स्क्रिप्ट ना लिखें।
कुमार प्रशांत ने कहा कि आप सही तरीके से अपनी कलम चलाना जानते हैं, अपने आसपास की घटनाओं को पैनी नजर से देखते हैं, तो भाषा पर पकड़ और तथ्यों की जानकारी होती है। पत्रकारों की दुनिया बहुत बड़ी होती है। आजकल स्पेशलाइजेशन का जमाना हो गया है जो पत्रकारिता के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने सीएए और एनआरसी के मुद्दों पर कहा कि भारत की धरती में जन्मा हर व्यक्ति भारत का नागरिक है। जो व्यक्ति भारत की धरती पर नहीं जन्मा है, वो भारत में रहने का आवेदन कर सकता है। संविधान भी यह भी कहता कि जो लोग भारत की धरती पर नहीं जन्मे हैं और भारत में रहने के आकांक्षी हैं तो वे भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। उस तारीख की सरकार संविधान में लिखी गई शर्तों के आधार पर नागरिकता के अधिकार पर विचार करेगी और उसको स्वीकार करेगी या अस्वीकार करेगी। अस्वीकार करने का कोई भी आधार संविधान मैं लिखित पांच आधार के बाहर नहीं होना चाहिए, जिसका संविधान जिक्र करता है। जाति के नाम पर धर्म के नाम पर देश के नाम पर उस आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जा सकता, अगर किया जाएगा तो न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।