राज्य सरकार ने आदिवासियों की मांगों को मानते हुए वनों की कटाई पर लगाई रोक

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रायपुर। नंदराज पहाड़ को बचाने के लिए बैलाडीला में चार दिन से चल रहा आदिवासियों के आंदोलन आखिरकार रंग ले आया। राज्य सरकार ने आदिवासियों की कुछ मांगों को मानते हुए मंगलवार को वनों की कटाई पर रोक लगा दी। साथ ही क्षेत्र में संचालित कार्यों को भी रोकने के निर्देश दिए हैं। आदिवासियों के आंदोलन को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की थी। वहीं सरकार के इस फैसले का आदिवासियों ने मांदर बजाकर नाचते हुए स्वागत किया। हालांकि उन्होंने एमओयू खत्म होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है। बस्तर सांसद दीपक बैज और कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम के साथ प्रतिनिधि मंडल ने आदिवासियों की स्थिति और उनकी मांगों को मुख्यमंत्री बघेल के सामने रखा। प्रतिनिधि मंडल से चर्चा करने के बाद दंतेवाड़ा में हो रहे आदिवासियों के आंदोलन पर मुख्यमंत्री ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने वनों की कटाई पर रोक लगाने के साथ ही मामलों की जांच कराने और कार्रवाई करने, विवादित क्षेत्र में संचालित सभी कार्यों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री की ओर से लिए गए निर्णय के मुख्य बिंदु- जंगल की कटाई पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश, साल 2014 के ग्राम सभा के आरोप की जांच कराने के निर्देश, इलाके में संचालित कार्यों पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश, राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार को पत्र लिख कर जन भावनाओं की जानकारी दी जाएगी, सांसद दीपक बैज ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद पेड़ कटाई का कोई आदेश नहीं दिया गया है। मेरे पास दस्तावेज हैं, 11 जनवरी 2018 को पेड़ कटाई का आदेश तत्कालीन भाजपा सरकार ने दिया था। बंदूक की नोक पर लोहंडीगुड़ा में भी फर्जी ग्राम सभा हुई थी। कांग्रेस ने विरोध किया था और सरकार बनने के बाद सफलता भी मिली। तीन बिन्दुओं पर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। जिसमें हिरोली ग्राम में हुई फर्जी ग्राम सभा, पेड़ कटाई व फिर से विशेष ग्राम सभा का आयोजन करवाने की बात रखी जाएगी। बैलाडीला की डिपॉजिट 13 खदान के विरोध में आदिवासियों का आंदोलन 7 जून से जारी है। आंदोलन में करीब 25 हजार आदिवासी मौजूद हैं। संभाग भर से आदिवासी जंगलों से निकलकर अपने परिवार सहित मीलों पैदल यात्रा कर इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। उद्योगपति गौतम अडानी को लौह अयस्क के खनन के लिए बैलाडीला की डिपोजिट नंबर 13 का ठेका सरकार ने दिया है। इस पहाड़ी को बचाने के लिए आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं। आदिवासी इस पहाड़ी नंदराज पर्वत को अपना देवता मानते हैं। सरकार के इस फैलसे का आदिवासियों ने झूमकर स्वागत किया। रायपुर में सीएम के साथ सांसद दीपक बैज, विधायक मोहन मरकाम, रेखचंद जैन, विक्रम मंडावी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम, देवती कर्मा के साथ बैठक शुरू हुई तो लोग हर पल की गतिविधि पर नजर बनाए रखे थे। राजधानी से पेड़ कटाई तत्काल रोकने और पहले कटे पेड़ों की जांच, फर्जी ग्रामसभा की जांच करने, सभी तरह की गतिविधियां रोकने, आगे किसी तरह की कटाई न होने पर फैसला हुआ, खबर मिलते ही हजारों प्रदर्शनकारी झूम उठे। गीत गाकर, नृत्य के साथ सरकार की पहल का स्वागत किया। लेकिन आंदोलन खत्म नहीं किया गया।