महारासलीला कर कृष्ण ने तोड़ा था कामदेव का अहंकार

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रायपुर। श्रीमद्भागवत महापुराण में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए संत गोपालशरण देवाचार्य ने बताया श्री कृष्ण ने मात्र 8 वर्ष की अवस्था में कामदेव के अभिमान को खत्म करने के लिए महाभागा गोपिकाओं के मनोरथ को पूर्ण करने के लिए दिव्य रासलीला और महारासलीला की। इसी तरह कंस का वध करके पृथ्वी देवी को दैत्यों के भार से मुक्त किया। सुंदर नगर में हो रही कथा में गुरुवार को प्रवचन करते हुए भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी विवाह का सुंदर वर्णन किया। गोपालशरण देवाचार्य जी ने बताया कि जब कंस के बुलावे पर अक्रूर जी भगवान को लेने मथुरा से गोकुल जाते हैं तब सभी गोपियां करूणा से अभिभूत होकर भगवान को जाने से रोकने के लिए उनके रथ के पहियों को ही अपने हाथों से पकड़ लेती हैं और जाने नहीं देती। इस पर भगवान श्रीकृष्ण के समझाने पर गोपियां उन्हें जाने देती हैं। गोकुल पहुंचते ही भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी अपनी तरह-तरह की लीलाओं से मथुरावासियों को अभिभूत कर देते हैं। यह भागवत पुराण सब पुराणों में सर्व श्रेष्ठ है जिसे सुनने के लिए देवता भी तरसते है। चौथे दिन गोपालशरणदेवाचार्य ने भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि जिस प्रकार किसान पौधे लगाता है और फसल काटता है उसी प्रकार भागवत कथा का पुण्य प्रताप भी इसी जन्म में पृथ्वी पर मिलता है। इसलिए इंसान को परमात्मा की आराधना करते रहना चाहिए। इस अवसर पर श्याम शरणदेव, मृत्युंज्य पुरी, पं. ध्रुव त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य रोहित पांडेय, सुशील चौबे और सैकड़ों की संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद लिया।